खरीफ सीजन 2024 में दालों की कुल बुवाई आंकड़े ने पिछले साल के बुवाई रकबे को पीछे छोड़ दिया है. लेकिन, ताजा आंकड़े यह बताते हैं कि किसानों ने उड़द, कुल्थी दाल और मोथ बीन दाल की बुवाई से मुंह मोड़ लिया है. क्योंकि, इन तीनों दालों का बुवाई रकबा बीते साल की तुलना में करीब 1.70 लाख हेक्टेयर घट गया है. जबकि, अरहर और मूंग दाल की बुवाई क्षेत्रफल में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के खरीफ सीजन में दालों की बुवाई के 20 अगस्त तक के आंकड़ों बताते हैं कि किसानों ने इस सीजन जमकर दालों की बुवाई की है. दालों की बुवाई का कुल रकबा 120.18 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. जबकि, पिछले साल यह रकबा 113.69 लाख हेक्टेयर था. यानी इस सीजन दालों का कुल रकबा करीब 7 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. इसमें से सर्वाधिक 45.78 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई की गई है, जबकि 33.24 लाख हेक्टेयर में मूंग दाल की बुवाई की गई है. बीते साल की तुलना में अरहर का रकबा करीब 5 लाख हेक्टेयर तो मूंग दाल का रकबा करीब 3 लाख हेक्टेयर बढ़ा है.
सरकारी आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि किसानों ने इस बार उड़द दाल, कुल्थी और मोथ बीन की कम बुवाई की है. उड़द दाल की बात करें तो 20 अगस्त तक देशभर में 28.33 लाख हेक्टयर में बुवाई की गई है, जो बीते साल की तुलना में 1 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में बुवाई कम रही है. इसी तरह कुल्थी दाल की बुवाई 20 हजार हेक्टेयर में की गई है, जो बीते साल की तुलना में 4 हजार हेक्टेयर कम है. इसके साथ ही मोथ बीन दाल की बुवाई 8.95 लाख हेक्टेयर में की गई है, जो बीते साल की तुलना में करीब 33 हजार हेक्टेयर कम है. तीनों दालों का करीब 1.70 लाख हेक्टेयर कम रकबा दर्ज किया गया है.
उड़द, कुल्थी और मोथ बीन दाल की बुवाई क्षेत्र में आई गिरावट की प्रमुख वजहों में मौसमी दिक्कतों और उत्पादन कठिनाइयों को माना जा रहा है. जबकि, किसानों का अरहर और मूंग के साथ ही धान फसल की ओर ओर रुख करना भी बड़ी वजह बना है. कुल्थी और मोथ बीन दालों को उनकी पोषकता के चलते कई बीमारियों को ठीक करने में मददगार माना जाता है. लेकिन, रोजाना के भोजन में दोनों दालों को कम ही इस्तेमाल किया जाता है. माना जा रहा है कि बीते साल उड़द दाल को विपरीत मौसम की वजह से भारी नुकसान झेलना पड़ा था. इससे बचने के लिए इस बार किसान उड़द की बजाय अरहर की ओर शिफ्ट हो गए हैं.