हल्दी के बढ़े भाव से किसानों में जगी उम्मीद, इस बार पहले से अधिक रकबे में हो सकती है बुआई

हल्दी के बढ़े भाव से किसानों में जगी उम्मीद, इस बार पहले से अधिक रकबे में हो सकती है बुआई

हल्दी के बढ़े भाव ने किसानों में नई उम्मीद जगा दी है. हाल के दिनों में गिरते भाव से किसान मायूस थे और उन्होंने हल्दी की खेती से मना हटा लिया था. लेकिन मौसमी मार के बाद हल्दी के भाव ऐसे बढ़े कि किसान दोबारा हल्दी की बुआई करने का विचार कर रहे हैं. लिहाजा कई प्रदेशों में हल्दी का रकबा बढ़ सकता है.

हल्दी के भाव बढ़ने से किसान अधिक रकबे में हल्दी की खेती करने का मन बना रहे हैंहल्दी के भाव बढ़ने से किसान अधिक रकबे में हल्दी की खेती करने का मन बना रहे हैं
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 06, 2023,
  • Updated Jul 06, 2023, 10:22 AM IST

इस बार हल्दी के भाव ऐसे बढ़े कि किसान इसकी खेती अधिक करने पर आमादा हो गए. जी हां, हाल के दिनों में हल्दी के रेट तेजी से बढ़े हैं. इसका असर हुआ कि किसान हल्दी में फायदा देख खेती का रकबा बढ़ाने की सोच रहे हैं. देश के कई राज्यों में किसान इस महीने के अंत तक हल्दी की खेती करते हैं. इस हिसाब से आने वाले दिनों में हल्दी की बुआई तेज हो सकती है. कुछ महीने पहले हल्दी के रेट गिरे थे जिससे किसानों ने इसकी खेती से मन खींचने का विचार किया था. लेकिन इस साल हल्दी की पैदावार पर मौसमी मार ऐसी पड़ी कि उत्पादन गिर गया. इससे बाजार में हल्दी के रेट बढ़ गए. इस बढ़े हुए रेट का फायदा लेने के लिए किसान इस साल हल्दी का रकबा बढ़ा सकते हैं.  

हल्दी के रेट में इस बार पिछले सात साल का रिकॉर्ड टूटा है. सात साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब हल्दी के रेट किसानों को खुश कर रहे हैं. इससे किसान गदगद हैं और अधिक रकबे में बुआई करने की तैयारी में हैं. इससे पहले हुआ यूं था कि बारिश कम होने और लेट मॉनसून के डर से किसान हल्दी की खेती से मन खींच रहे थे. अब बारिश भी अच्छी हो रही है और हल्दी के रेट भी बढ़े हुए हैं. लिहाजा किसान अधिक बुआई पर अपना ध्यान लगा रहे हैं.

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क्यों बढ़े हल्दी के दाम

इस बार हल्दी के भाव बढ़ने के दो मुख्य कारण हैं. पहला, मार्च-अप्रैल में बेमौसमी बारिश से खेतों में खड़ी हल्दी की फसल को भारी नुकसान हुआ. अभी की हालत ये है कि हल्दी उगाने वाले प्रदेशों में कम बारिश हो रही है, खासकर कर्नाटक में. महाराष्ट्र के सांगली में यही हाल देखा गया. एक्सपर्ट बताते हैं कि मार्च-अप्रैल में महाराष्ट्र में लगातार 8-10 दिन बारिश हुई. इससे हल्दी में नमी बढ़ गई और मौसम खराब होने से उसे सुखाने का मौका नहीं मिला. इससे केवल महाराष्ट्र में ही 35,000-40,000 टन हल्दी का नुकसान हुआ. मराठवाड़ा क्षेत्र की हल्दी पूरी तरह से बर्बाद हो गई और अगर कुछ बची भी तो उसका रंग लाल पड़ गया. इससे मार्केट में हल्दी की आवक कम हुई और रेट तेजी से बढ़ गए.

दाम बढ़ने की दूसरी वजह ये रही कि इस बार दक्षिण पश्चिम मॉनसून की आवक में देरी हुई जिससे किसानों ने हल्दी की खेती से मन खींच लिया. हल्दी के बदले किसी अन्य फसल की बुआई पर ध्यान दिया. इससे पैदावार गिरने की आशंका बढ़ी और इसने वायदा बाजार में हल्दी के भाव बढ़ाने का काम किया.

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रिकवर होगा हल्दी का रकबा

अब हालात कुछ बदले से लग रहे हैं. बारिश भी अच्छी हो रही है और हल्दी के दाम भी बढ़े हुए हैं. ऐसे में जहां पहले हल्दी का रकबा 25 परसेंट तक गिरने की आशंका थी, उसका अब पूरी तरह से रिकवर होने की संभावना जताई जा रही है. एक्सपर्ट बता रहे हैं कि हल्दी के भाव बढ़ने से किसान खुश हैं और आने वाले दिनों में वे खेती का रकबा बढ़ाएंगे. हल्दी की खेती इस महीने के अंत तक होती है. खासकर तमिलनाडु में इसकी प्रक्रिया चल रही है. इस हिसाब से हल्दी की बुआई तेज होने की पूरी उम्मीद है. कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हल्दी का रकबा रिकवर होने की पूरी उम्मीद है.

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