Rice Export: मई में जारी रही कच्चे चावल के निर्यात में गिरावट, लगातार चौथे महीने में आई कमी 

Rice Export: मई में जारी रही कच्चे चावल के निर्यात में गिरावट, लगातार चौथे महीने में आई कमी 

Rice Export: गैर-बासमती चावल के निर्यात में गिरावट इजरायल-ईरान संघर्ष की चिंताओं के बीच आई है. इस संघर्ष का असर बासमती चावल के निर्यात पर भी पड़ रहा है.  CRISIL की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में  ईरान और इजरायल भारत के बासमती चावल निर्यात का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा हैं.

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क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jun 21, 2025,
  • Updated Jun 21, 2025, 10:58 AM IST

गैर-बासमती चावल के निर्यात में दो प्रमुख श्रेणियों, उबले चावल और कच्चे चावल का भारत का निर्यात मई 2025 में लगातार चौथे महीने गिरा है. बताया जा रहा है कि ऐसा अफ्रीकी देशों की ओर से कम होती मांग की वजह से हुआ है. इन देशों में स्‍टॉक ज्‍यादा होने की वजह से भारत से बासमती चावल की खरीद में कटौती करने का फैसला किया है. निर्यात में यह गिरावट तब आई है, जब भारत ने सितंबर 2024 से विदेशी शिपमेंट पर लगे लगभग सभी प्रतिबंधों को हटा दिया था. 

ईरान-इजरायल संघर्ष का असर 

अखबार बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार गैर-बासमती चावल के निर्यात में गिरावट इजरायल-ईरान संघर्ष की चिंताओं के बीच आई है. इस संघर्ष का असर बासमती चावल के निर्यात पर भी पड़ रहा है.  CRISIL की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में  ईरान और इजरायल भारत के बासमती चावल निर्यात का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा हैं.  वित्‍तीय वर्ष 2025 में भारत ने दुनियाभर के बाजारों में करीब  20.1 लाख टन चावल का निर्यात किया है जिसमें बासमती और गैर बासमती दोनों ही शामिल हैं. इसके साथ ही वह एक बार फिर से चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश हो गया है. 

गैर-बासमती चावल का निर्यात 

इस आंकड़ें में करीब 5 से 6 मिलियन टन बासमती चावल था जबकि बाकी गैर-बासमती चावल शामिल था. गैर-बासमती चावल में उबले हुए चावल करीब 9 से 9.5 मिलियन टन थे. इस आंकड़ें के साथ यह गै-बासमती चावल की वह किस्‍म है जिसे भारत ने सबसे ज्‍यादा निर्यात किया. जबकि कच्‍चा चावल 4 लाख टन पर था. अफ्रीकी देश भारत की गैर-बासमती किस्‍म के सबसे बड़ी खरीदार हैं और एक मुख्य हिस्‍सा हैं. वित्‍तीय वर्ष 2025 में आए ट्रेड डाटा के अनुसार अफ्रीकी देशों को भारत ने गैर-बासमती चावल का करीब 73 फीसदी हिस्‍सा निर्यात किया. 

क्‍यों होता है भारत को फायदा 

प्रतिस्‍पर्धी कीमतों और अच्‍छी आपूर्ति के चलते भारत को गैर-बासमती चावल के निर्यात में फायदा मिलता है. ट्रेडर्स और बाजार विशेषज्ञों की मानें तो अफ्रीकी देश भारत से गैर-बासमती चावल की अच्‍छी-खासी किस्‍म खरीदते हैं. सितंबर 2024 में जब भारत ने गैर-बासमती चावल से प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया था तब से ही इन देशों को निर्यात में इजाफा हुआ है. अब जबकि इन देशों के पास चावल का स्‍टॉक काफी ज्‍यादा हो गया है तो इन्‍होंने मांग में कटौती करने का फैसला किया है. 

मई में भारत ने 207,634 टन उबले हुए चावल का निर्यात किया था. इस चावल को औसतन 455.6 डॉलर प्रति टन की कीमत से निर्यात किया गया था. यह आंकड़ा अक्‍टूबर 2024 के मुकाबले 82 फीसदी तक कम था. अगर कच्‍चे चावल की बात करें तो अक्‍टूबर 2024 में निर्यात 691365 टन था. मई 2024 में यह गिरकर 292984 टन पर पहुंच गया है. 

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