
हरियाणा के कैथल जिले में चीका अनाज मंडी और अर्नोली खरीद केंद्रों पर धान की खरीद में गंभीर गड़बड़ियों का आरोप है. सरकार ने 15 नवंबर को आधिकारिक तौर पर धान की खरीद रोक दी थी, लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि 16 नवंबर की आधी रात तक धान आता रहा और खरीदा जाता रहा. यह नियमों का साफ उल्लंघन दिखाता है.
जांच के लिए एसडीएम गुहला को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन एक हफ्ते से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई रिपोर्ट जमा नहीं हुई है. डिप्टी कमिश्नर प्रीति ने कहा कि रिपोर्ट आएगी तो ही आगे की कार्रवाई होगी.
हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड (HSAMB) के एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी समय सीमा खत्म होने के बाद भी चीका में 48 और अर्नोली में 68 गेट पास जारी किए गए. इससे बड़ा सवाल उठता है कि बंद होने के बाद धान आया कैसे?
अधिकारी ने यह भी कहा कि खरीद बंद होने से कुछ दिन पहले तक इन केंद्रों पर धान का कोई रिकॉर्ड नहीं था, लेकिन आखिरी दिन अचानक बड़ी मात्रा में धान पहुंचा. हैरानी की बात यह है कि अगले दिन रविवार को भी खरीद दिखाई गई, जबकि नीति के अनुसार रविवार को खरीद नहीं हो सकती.
अधिकारी ने शक जताया कि देर रात धान आने और गेट पास जारी होने के पीछे कुछ मिलरों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रॉक्सी खरीद करवाई की गई होगी. रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज प्रशासन के पास मौजूद हैं, फिर भी जांच आगे नहीं बढ़ रही है, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं.
किसान नेताओं ने कहा कि प्रशासन सच्चाई सामने नहीं आने दे रहा है. खरीद बंद होने, उत्पादन कम होने और बाढ़-बारिश के कारण पैदावार गिरने के बावजूद इस साल कई जिलों में पिछले साल से ज्यादा धान कैसे पहुंच गया-यह किसानों में बड़ा सवाल है.
बीकेयू (चढ़ुनी) के राज्य युवा अध्यक्ष विक्रम कसाना ने कहा कि जांच सिर्फ दिखावा है. सात दिन में भी अधिकारी एक साधारण जांच पूरी नहीं कर पाए, जबकि उनके पास सारे रिकॉर्ड और वीडियो मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के सिटिंग जज से कराई जानी चाहिए.
गुहला क्षेत्र के कुछ किसानों ने मुख्यमंत्री और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायत भेजकर निष्पक्ष जांच की मांग की है. किसानों का कहना है कि अगर धान खरीद में किसी तरह का घोटाला हुआ है, तो जिम्मेदार अधिकारियों और खरीद केंद्रों पर सख्त कार्रवाई होनी जरूरी है.
कैथल जिले में धान खरीद को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं. देर रात खरीद, रविवार को रिकॉर्ड दिखाना, और जांच में देरी-ये सब बातें किसानों की शंकाओं को और गहरा कर रही हैं. किसान साफ कह रहे हैं कि जब तक हाई कोर्ट के जज से निष्पक्ष जांच नहीं होती, तब तक सच्चाई सामने नहीं आएगी.
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