किसानों के बीच बागवानी फसलों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. किसान अब मौसम के अनुसार फल, सब्जी और मसालों जैसी फसलों की बागवानी करके काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इनमें से कुछ सदाबहार फसलें भी होती हैं, जो एक बार लगाने पर कई सालों तक मोटा मुनाफा देती हैं. ऐसी ही एक बागवानी फसल है जायफल, जिसका उपयोग मसाले के तौर पर किया जाता है. इस फसल का ताल्लुक इंडोनेशिया से है लेकिन भारत में इसकी खपत काफी ज्यादा है. इसकी खेती केरल के त्रिशोर, एर्नाकुलम, कोट्टायम और तमिलनाडु के कन्याकुमारी और तिरुनेलवेली के कुछ इलाकों में की जा रही है.
जायफल एक सदाबहार वृक्ष माना जाता है, जिसकी उत्पत्ति इंडोनेशिया का मोलुकास द्वीप माना जाता है. जायफल के सूखे फलों का इस्तेमाल मसाले, सुगन्धित तेल और औषधियों को बनाने के लिए किया जाता है
जायफल के पौधों को तैयार होने में छह से सात वर्ष का समय लगता है. इसके कच्चे फलों का जैम, कैंडी और अचार बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. जिस वजह से जायफल की मांग हमेशा बनी रहती है. वहीं इसके मसाले को स्वादिष्ट व्यंजनों में स्वाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके मसाले में कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. जिनमें, पोटेशियम, कैल्शियम, जिंक, आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व शामिल हैं. वहीं किसान जायफल की बागवानी कर बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं.
जायफल की उन्नत खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी या लाल लेटेराइट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. इसके पौधे को उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है. सर्दी और गर्मियों के मौसम में जायफल के पौधों का विकास अच्छी तरह से होता है.
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जायफल की बुवाई से पहले गड्ढों के बीचो बीच एक और छोटे आकार का गड्ढा बनाएं. इसके बाद गोमूत्र से उपचारित कर लें, ताकि पौधा किसी बीमारी की चपेट में न आए. फिर पौधे की पॉलीथीन को हटाकर उसे लगा दें. इसके बाद पौधे के तने को दो सेंटीमीटर तक मिट्टी से दबा दें.
जायफल के पौधे की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय बारिश का मौसम होता है. पौधों की रोपाई जून के मध्य से अगस्त के शुरुआत तक कर सकते हैं. इसके अलावा पौधों को मार्च के बाद भी उगाया जा सकता है, लेकिन इस स्थिति में पौधों की ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है.
दुनिया भर में एक लोकप्रिय मसाला होने के अलावा, जायफल अपने कई स्वास्थ्य लाभों के लिए भी जाना जाता है. शुरुआती समय से ही, जायफल का उपयोग कई स्थितियों या यहां तक कि सामान्य रूप से स्वास्थ्य के इलाज के लिए किया जाता रहा है. आइए जानते हैं क्या है इसके लाभ.