आंध्र प्रदेश के चित्तूर और तिरुपति जिलों के आम उत्पादक किसान अपनी उपज का उचित रेट पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि जिला कलेक्टरों ने हस्तक्षेप करके तोतापुरी किस्म के लिए 30,000 रुपये प्रति टन का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है. हालांकि, कर्नाटक और तमिलनाडु के व्यापारियों ने शुरू में 28,000 रुपये प्रति टन की कीमत की पेशकश की थी. स्थानीय किसान श्रीनिवास रेड्डी ने कहा कि हालांकि, इन व्यापारियों ने लुगदी उद्योगों के साथ एक सिंडिकेट बनाया है और कीमतों में भारी गिरावट की है. इसस किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है.
डेक्कन क्रॉनिकल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह की कीमत में हेराफेरी ने कई किसानों को गंभीर वित्तीय संकट में डाल दिया है. दोनों जिलों में अधिकांश किसानों ने अपने बागों में भारी निवेश किया था. इन किसानों ने मुख्य रूप से तोतापुरी किस्म की खेती की थी. उन्हें उचित रिटर्न की उम्मीद थी. लेकिन फसल की पैदावार में काफी गिरावट आई. कई किसानों ने अपनी सामान्य फसल का केवल 10-20 प्रतिशत ही काटा है. वहीं, आम किसानों की इस परेशानी को देखते हुए चित्तूर और तिरुपति के जिला कलेक्टरों ने बागवानी और विपणन अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसके बाद उन्होंने तोतापुरी आमों के लिए न्यूनतम कीमत 30,000 रुपये प्रति टन तय की लेकिन लुगदी उद्योग और व्यापारियों ने इस निर्देश की अनदेखी की है.
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एक अन्य प्रभावित किसान लक्ष्मी देवी का मानना है कि आधिकारिक कीमत उचित है. उन्होंने कहा कि मजदूरी, उर्वरक और परिवहन की लागत को देखते हुए 30,000 रुपये प्रति टन उचित है. 28,000 रुपये भी स्वीकार्य होंगे, लेकिन कीमतों में गिरावट ने हमें गंभीर वित्तीय संकट में डाल दिया है. इसके अलावा, भ्रामक प्रथाओं ने स्थिति को जटिल बना दिया है.
किसानों का आरोप है कि कुछ व्यापारी तोतापुरी किस्म के लिए केवल 20,000 रुपये प्रति टन का भुगतान कर रहे हैं. वे विभिन्न खर्चों के लिए अतिरिक्त 12 प्रतिशत की कटौती कर रहे हैं. चिंतित किसान रमेश कुमार ने आरोप लगाया कि इन व्यापारियों ने बड़े-बड़े संग्रह केंद्र स्थापित कर लिए हैं और किसानों को धोखा दे रहे हैं, क्योंकि बागवानी या विपणन विभाग हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. जिले में हाल ही में हुई भारी बारिश ने संभावित फसल क्षति और बीमारी फैलने की आशंका बढ़ा दी है, जिससे किसानों के लिए स्थिति और जटिल हो गई है.
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