MP में 6 लाख से ज्‍यादा सोयाबीन किसानों का भावांतर योजना के लिए रजिस्‍ट्रेशन! 24 अक्‍टूबर से शुरू होगी बिक्री

MP में 6 लाख से ज्‍यादा सोयाबीन किसानों का भावांतर योजना के लिए रजिस्‍ट्रेशन! 24 अक्‍टूबर से शुरू होगी बिक्री

इस साल राज्य में बहुत ज्‍यादा बारिश के चलते सोयाबीन की फसल पर बुरा असर पड़ा है. आशंका है कि गुणवत्ता में कमी की वजह से किसानों को मंडियों में एमएसपी नहीं मिल पाएगा. मध्य प्रदेश सरकार ने इससे पहले 2017 में भावांतर भुगतान योजना शुरू की थी, जो आठ फसलों-जैसे सोयाबीन, मूंगफली और अरहर जैसी दालों- पर लागू थी.

सोयाबीन की खेतीसोयाबीन की खेती
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 17, 2025,
  • Updated Oct 17, 2025, 11:32 AM IST

तिलहन  किसानों को मंडियों में कीमतों में गिरावट से बचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार सोयाबीन किसानों के लिए 'भावांतर योजना' की शुरुआत की है. इस योजना के तहत राज्य सरकार किसानों को बाजार में चल रही (कम) कीमत और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बीच का अंतर भरपाई के रूप में देगी. यह योजना 24 अक्टूबर से लागू की जाएगी, जिससे मध्य प्रदेश के लगभग 6 लाख किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है. कृषि अधिकारियों ने बताया है कि अब तक लाखों किसानों ने इसके लिए रजिस्‍ट्रेशन करा लिया है. 

क्‍या है योजना का मकसद 

यह मध्य प्रदेश सरकार का दूसरा प्रयास होगा प्राइस डेफिसिट पेमेंट स्कीम (पीडीपीएस) या भावांतर योजना शुरू करने का, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसान अपनी फसल को सामान्य तरीके से बाजार में बेचते समय भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्राप्त कर सकें. इस योजना के तहत सोयाबीन को 24 अक्टूबर 2025 से 15 जनवरी 2026 के बीच अधिसूचित मंडियों में बेचा जा सकेगा. अगर बाजार में कीमतें 2025-26 खरीफ सीजन के एमएसपी 5328 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे चली जाती हैं, तो यह मूल्य अंतर किसानों के बैंक खातों में 15 दिनों के अंदर ट्रांसफर कर दिया जाएगा. भुगतान केवल उन किसानों को मिलेगा जिन्होंने अपनी उपज को निर्धारित कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) की मंडियों में बेचा होगा. 

कैसे तय होगी कीमत 

किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग, मध्य प्रदेश के सचिव निशांत वरवड़े के हवाले से अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने लिखा, 'सोयाबीन का मॉडल रेट राज्य की लगभग 300 मंडियों में पिछले 14 दिनों की बिक्री कीमतों के भारित औसत के आधार पर तय किया जाएगा.' एमएसपी और इस मॉडल रेट के बीच के अंतर की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से उन किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी, जो इस योजना के लिए पोर्टल पर रजिस्‍टर्ड हैं. वरवड़े ने बताया कि अब तक राज्य में 6 लाख से अधिक किसान भावांतर योजना के तहत लाभ पाने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण करा चुके हैं. मध्य प्रदेश का देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में 35 फीसदी से ज्‍यादा का हिस्सा है. 

बारिश ने बिगाड़ी फसल! 

इस साल राज्य में बहुत ज्‍यादा बारिश के चलते सोयाबीन की फसल पर बुरा असर पड़ा है. आशंका है कि गुणवत्ता में कमी की वजह से किसानों को मंडियों में एमएसपी नहीं मिल पाएगा. मध्य प्रदेश सरकार ने इससे पहले 2017 में भावांतर भुगतान योजना शुरू की थी, जो आठ फसलों-जैसे सोयाबीन, मूंगफली और अरहर जैसी दालों- पर लागू थी. बाद में सरकार ने इस योजना को आगे भी जारी रखने का निर्णय लिया था. विशेषज्ञों की मानें तो पहले भावांतर योजना असफल रही क्योंकि व्यापारी बाजार में हेराफेरी, किसानों को भुगतान में देरी, और सीमित बिक्री अवधि जैसी वजहों से इसका फायदा उठाने लगे, जिससे मंडियों में अचानक आपूर्ति बढ़ गई. 

बिना रजिस्‍ट्रेशन नहीं मिलेगा फायदा 

निशांत वरवड़े ने बताया कि नई भावांतर योजना में अब केंद्र सरकार की डिजिटल पहल ‘एग्री-स्टैक्स’जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा. इस सिस्‍टम में किसानों को डिजिटल आईडी दी जाती है, जिसमें उनकी जनसांख्यिकीय जानकारी, जमीन का विवरण और फसल पैटर्न दर्ज रहता है. सोयाबीन खरीदी के लिए लागू की गई भावांतर योजना में किसानों के रजिस्‍ट्रेशन किए जा रहे हैं. रजिस्‍ट्रेशन के बाद ही सरकार से किसानों को फायदा मिल सकेगा. इसमें मॉडल रेट और एमएसपी भाव के अंतर की राशि का भुगतान सीधे किसानों के खातों में किया जाएगा. अधिक संख्या में किसान इसका लाभ लें, उसके लिए पंजीयन पर जोर दिया जा है. शुरुआती दौर में रजिस्‍ट्रेशन के लिए सहकारी समितियों स्तर पर 58 केंद्र शुरू किए गए थे. भीड़ बढ़ने और किसानों की मांग पर केंद्रों की संख्या बढ़कर 78 कर दी है.  

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