
आने वाले समय में मसूर दाल के भाव भी बढ़ने वाले हैं. वैसे तो सभी दालें अभी महंगी चल रही हैं, लेकिन अरहर के मुकाबले बाकी दालों के दाम कम चल रहे थे. लेकिन अब इसमें मसूर का नाम भी जुड़ गया है. मसूर की इस महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार ने कोशिशें तेज कर दी हैं. सरकार इसके तहत विदेशों से मसर खरीद रही है. इस खरीद के लिए सरकार ने टेंडर निकालना शुरू कर दिया है. एक हफ्ते में चार टेंडर निकाले जा रहे हैं जिससे कि मसूर की खरीदारी तेज की जा सके. टेंडर की प्रक्रिया नेशनल एग्रीकल्चरल कॉपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (Nafed) और नेशनल कॉपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) के जरिये पूरी की जा रही है.
टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद खाद्य मंत्रालय उसे मंजूरी देगा. इसके बाद आयात का काम शुरू किया जाएगा. सरकार अभी कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के मसूर पर फोकस कर रही है. हालांकि और भी कई देशों से टेंडर लिया जा रहा है. विदेशों से आई खेप को देश के आठ अलग-अलग पोर्ट- मुंद्रा, कांडला, हजिरा (गुजरात), विशाखापट्टम और काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) पर उतारा जाएगा.
दालों के आयात पर इसलिए जोर दिया जा रहा है क्योंकि सरकार के सामने अभी कीमतों को कम और स्थिर रखना सबसे बड़ी चुनौती है. हाल के दिनों में दालों के दाम तेजी से बढ़े हैं. इसकी दो वजहें हैं. एक, पिछले सीजन में दालों की पैदावार कम हुई है, साथ ही इस बार भी दालों का रकबा कम हुआ है. देश में मॉनसून की बारिश कम होने से इस बार दालों की बुआई कम हुई है. इस बार तुर, उड़द और मूंग की बुआई में 8.5 परसेंट तक की गिरावट है. देश के जितने दाल उत्पादक प्रदेश हैं, जैसे कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र, वहां दालों की बुआई कम हुई है.
इससे आने वाले सीजन में दालों की पैदावार घटेगी. इसका सीधा असर दालों की कीमतों पर दिखेगा. भारत वैसे भी बड़ी मात्रा में दालों का आयात करता है. ऐसे में इस बार सरकार के सामने दबाव अधिक है. आगे त्योहारी सीजन भी है जिसमें खपत बढ़ जाती है. आम लोगों पर कीमतों की मार अधिक न पड़े, इसे देखते हुए सरकार ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में सरकार ने मसूर दाल के आयात के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
किसी एक दाल की पैदावार गिरने से दूसरी दाल की खपत बढ़ जाती है. अभी सभी दालें महंगी चल रही हैं, इसलिए आने वाले समय में यह महंगाई और भी बढ़ने की आशंका है. मसूर और अरहर के मामले में कुछ ऐसा ही देखा जा रहा है. अरहर के भाव बढ़ने से लोगों ने मसूर की खपत बढ़ाई, लेकिन अब मसूर भी महंगी हो गई है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक दो सबसे बड़े अरहर उगाने वाले राज्य हैं, जो सरकार के टारगेट से आधे से थोड़ा अधिक खेती करते हैं. इस मॉनसून सीजन में अब तक महाराष्ट्र में बारिश पहले से कम रही है, जबकि कर्नाटक में यह औसत और भी कम है. माना जा रहा है अंतिम रकबा पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत कम होगा और उत्पादन 15 प्रतिशत कम होगा. ऐसे में आयातीत दालों की मांग भारत में बढे़गी.