केंद्र सरकार ने भूसी (धान या खुरदरा) बीज गुणवत्ता वाले चावल पर 20% का निर्यात शुल्क समाप्त कर दिया है. अधिकारियों ने कहा कि चावल के भंडार की समीक्षा के बाद शुल्क खत्म कर दिया गया. यह छूट 11 अप्रैल 2023 से प्रभावी होगी. केंद्र ने सितंबर, 2022 में भूसी (धान या खुरदरा), भूरा चावल और आधे टूटे या पूरी तरह से टूटे चावल पर 20% का निर्यात शुल्क लगाया था.
यह चावल की कीमतों को कम करने और घरेलू बाजार के लिए स्टॉक उपलब्ध कराने के लिए किया गया था. इन उपायों से बासमती या उसना चावल के निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ा. वित्त मंत्रालय ने कहा था कि भारत के चावल-निर्यात नियमों में बदलाव से निर्यात की उपलब्धता को कम किए बिना घरेलू कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद मिली है.
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टूटे चावल की वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है, जिसने पशु आहार से संबंधित उपयोगी वस्तुओं सहित जिन्सों की कीमतों में उतार-चढ़ाव को प्रभावित किया है. टूटे चावल के निर्यात में पिछले 4 वर्षों में 43 गुना से अधिक (2019 में इसी अवधि में 0.51 एलएमटी की तुलना में अप्रैल-अगस्त, 2022 में 21.31 एलएमटी निर्यात) की वृद्धि हुई और पिछले वर्ष 2021-22 के मुकाबले इसमें महत्वपूर्ण उछाल आया, निर्यात की मात्रा 15.8 एलएमटी थी. जिस वजह से इस साल भी टूटे चावलों पर लगाए गए निर्यात को समाप्त कर दिया गया है.