जूकिनी, खीरे के जैसी दिखने वाली सब्जी जिसे सलाद में कच्चा और कभी-कभी पास्ता जैसी डिश में पकाकर भी खाया जाता है. जूकिनी का प्रयोग अक्सर किसी भोजन को स्वादिष्ट बना देता है. जूकिनी का दूसरा नाम समर स्क्वैश है. हरे रंग के अलावा जूकिनी पीले और हल्के हरे रंगे में भी मिलती है. जूकिनी वह सब्जी है जिसमें विटामिन, मिनरल्स और प्लांट बेस्ड हर पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसलिए कई लोग जो डाइटिंग करते हैं, वो जूकिनी को तरजीह देते हैं. यह न सिर्फ दिल को स्वस्थ रखता है बल्कि डायबिटीज से भी बचाता है.
जूकिनी एक इटैलियन शब्द है लेकिन इसकी खोज अमेरिका में हुई थी. यहां पर इसे एक देसी डाइट के अहम हिस्से के तौर पर शामिल किया जाता था. पुरातत्वविदों के अनुसार उन्हें मैक्सिकों की गुफाओं में ऐसे बीज मिले थे जिनसे पता चला था कि इसकी खेती सबसे पहले करीब 10000 साल पहले की गई थी. लेकिन हजारों साल बाद भी इसकी खेती को फायदे का सौदा माना जाता है. भारत में जूकिनी को एग्जाटिक वेजीटेबल की लिस्ट में रखा जाता है. दिन पर दिन इसकी लोकप्रियता में भी इजाफा होता जा रहा है. भारत में भी अब कई किसान जूकिनी की खेती करने लगे हैं.
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जूकिनी की खेती गर्मी के मौसम में और वसंत ऋतु में भी इसकी खेती होती है. जूकिनी को गर्मी की फसल माना जाता है. इसे अक्सर मई के महीने में बोया जाता है. इसे ऐसी जगह पर उगाएं जहां पर कम से कम छह से आठ घंटे तक धूप आती होती. जूकिनी को पनपने के लिए लगातार नम, ऑर्गेनिक तत्वों से भरपूर मिट्टी की जरूरत होती है. जूकिनी एक बेल वाली फसल है जिसे फैलने के लिए बहुत ज्यादा जगह की जरूरत होती है.
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जूकिनी की एक एकड़ की खेती में करीब 33000 रुपये से 52 हजार रुपये तक की लागत आती है. इसके एक किलो बीज की कीमत 400 रुपये से 600 रुपये तक आती है. एक एकड़ पर अगर आपने जूकिनी की खेती की है तो आपको एक लाख रुपये से लेकर 1,80,000 रुपये तक का फायदा होता है. वहीं अगर शुद्ध लाभ की बात करें तो यह 48,400 रुपये से लेकर 147,100 रुपये तक होता है.