कैसे केरल का एक किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग से कर रहा कैंसर के मरीजों की मदद 

कैसे केरल का एक किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग से कर रहा कैंसर के मरीजों की मदद 

केरल के कोट्टयम जिले में आने थलयोलापरम्बु किसान सेवा सहकारी बैंक के ब्रांच मैनेजर पी जी शाजिमोन को हाल ही कानफेड की तरफ से बेस्‍ट ऑर्गेनिक फार्मर का पुरस्‍कार मिला है. शाजिमोन की पत्‍नी एम प्रीता कुमारी को कैंसर हो गया था. उनका इलाज करने वाले डॉक्‍टर वीपी गंगाधरन ने शाजिमोन को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित किया.

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  • Aug 24, 2024,
  • Updated Aug 24, 2024, 2:54 PM IST

वैसे तो केरल को 'गॉड्स ओन कंट्री' के तौर पर जाना जाता है लेकिन यहां पर एक शख्‍स ने इस बात को सच साबित करके दिखा दिया है. आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो खेती भी इस तरह से करते हैं कि कैंसर के रोगियों को कोई नुकसान न पहुंचे. केरल के कोट्टयम जिले में आने थलयोलापरम्बु किसान सेवा सहकारी बैंक के ब्रांच मैनेजर पी जी शाजिमोन को हाल ही कानफेड की तरफ से बेस्‍ट ऑर्गेनिक फार्मर का पुरस्‍कार मिला है.  लेकिन 55 साल के बैंक ऑफिसर को जो एक बात खास बनाती है, वह है कोचीन कैंसर सोसाइटी को पेस्‍टीसाइड फ्री चावल और सब्जियां मुहैया कराने का उनका नेक मिशन.

पत्‍नी को खोया कैंसर में   

न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार शाजिमोन की पत्‍नी एम प्रीता कुमारी को कैंसर हो गया था. उनका इलाज करने वाले डॉक्‍टर वीपी गंगाधरन ने शाजिमोन को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित किया. थालयोलापरम्बु के रहने वाले शाजिमोन इस साल दिसंबर में रिटायर हो जाएंगे. वह पिछले 17 सालों से अपनी पत्‍नी का ध्‍यान रख रहे थे. लेकिन पिछले साल उनकी पत्‍नी का निधन हो गया. शाजिमोन, स्थानीय जमींदारों की पांच एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक चावल और सब्जियां उगाते हैं. इसकी सारी फसल डॉक्‍टर गंगाधरन की सोसायटी को जाती है. यहां पर वह मरीजों को फ्री में भोजन मुहैया कराती हैं.

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पत्‍नी को देना चाहते थे ऑर्गेनिक फूड 

पिछले कुछ दिनों से शाजिमोन बेस्‍ट ऑर्गेनिक फॉर्मर के अवॉर्ड के लिए आने वाली बधाईयों का जवाब देने में बिजी हैं. पिछले दिनों राज्‍य के पूर्व कृषि मंत्री मुल्लाक्कारा रत्‍नाकरन ने शाजिमोन के खेत का दौरा किया. साथ ही उन्‍हें कीटनाशक फ्री सब्जियां मुहैया कराने में उनकी तरफ से किए जा रहे महान काम के लिए उन्हें बधाई दी. शाजिमोन एक बैंक मैनेजर थे और उनकी जॉब काफी चैलेंजिंग थी. लेकिन वह अपनी पत्‍नी को सिर्फ ऑर्गेनिक फूड ही देना चाहते थे जो अपनी बीमारी की वजह से काफी निराश रहती थीं. तब डॉक्‍टर गंगाधरन ने ही शाजिमोन को ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए प्रेरित किया. तब से ही उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

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लोगों ने बिना सोचे दे दी जमीन 

शाजिमोन ने अखबार को बताया, 'शुरुआत में मैंने अपनी जमीन पर ऑर्गेनिक फार्मिंगी की. जब प्रीता ज़िंदा थी तो उसने हमारे एक पड़ोसी कुरियन कोल्लमपरम्बिल, जो एक जमींदार थे, उनसे पूछा कि क्या हम धान की खेती कर सकते हैं. वह तुरंत राजी हो गए क्योंकि उनकी 2.5 एकड़ जमीन सालों से बंजर पड़ी थी. फिर हमने सामाजिक कार्यकर्ता पी जी थंकम्मा से संपर्क किया, जिनकी 2.5 एकड़ जमीन भी बेकार पड़ी थी.' शाजिमोन ने कहा कि उन दोनों ने ही खेती करने के लिए अपनी जमीन फ्री में उन्‍हें दे दी और किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया. शाजिमोन के मुताबिक इससे पता चलता है कि मानवता अभी भी कायम है. 

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अब करेंगे मुर्गियां और बत्‍तख पालन 

धान की खेती के अलावा शाजिमोन जिसमें टैपिओका, रतालू, ग्रेटर रतालू और इस तरह की सब्जियों की खेती भी करते हैं. हाल ही में हुई बारिश में, उन्होंने ऐमारैंथस के कई पौधे खो दिए हैं.  इस साल के अंत में रिटायर होने के बाद वह मुर्गियां और बत्‍तख पालन भी करने वाले हैं. प्रीता की पहली पुण्यतिथि के मौके पर शाजिमोन ने अपने इलाके की 50 महिलाओं के लिए फ्री मैमोग्राम टेस्‍ट कराने का फैसला किया है. 

 

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