पशुओं को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि सड़क पर छुट्टा घूमने वाले पशुओं को अवारा नहीं कहा जाएगा. ऐसे पशुओं को अब निराश्रित कहा जाएगा. उत्तर भारत में ऐसे पशुओं की समस्या बड़ी है, खासकर उत्तर प्रदेश में जहां आवारा जानवरों को लेकर राजनीति भी होती रही है. बीते विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा भी बना था. ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार ने आवारा पशुओं को निराश्रित पशु बोलने का आदेश जारी किया है. यहां निराश्रय का अर्थ है जिसका कोई आसरा या आश्रय नहीं हो. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व विधायक के प्रस्ताव को मानते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने इस बाबत आदेश जारी किया है.
पूर्व विधायक ने लिखा, ''मवेशियों में गाय भी होती है और गौ माता को आवारा कहना कदापि उचित नहीं है, इस बात को लेकर मैंने 18 अगस्त 2024 को 'X' पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में संशोधन का आग्रह मुख्यमंत्री मोहन यादव से किया था. विषय की गंभीरता को लेकर संवेदनशील मुख्यमंत्री जी ने आदेश को संशोधित करते हुए 'आवारा की जगह निराश्रित मवेशी' करवा दिया है. इसके लिए मैं ह्रदय से आभार से व्यक्ति करता हूं.''
हाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा था कि मध्य प्रदेश में कृषि के साथ पशुपालन विकास के लिए किसानों और पशुपालकों को प्रोत्साहित किया जाए. गौवंश के सम्मान और सुरक्षा के लिए सभी उपाय किए जाएं. मोहन यादव ने कहा, वृद्ध गायों के लिए गौशालाएं संचालित करने के साथ पशुपालन विकास को प्राथमिकता देना आवश्यक है. पशुपालन एवं डेयरी विभाग संबंधित विभागों के सहयोग से बेहतर परिणाम लाने के लिए इस दिशा में आगे बढ़े. मुख्यमंत्री ने एक बैठक के दौरान गौवंश रक्षा और दुग्ध उत्पादन प्रोत्साहन योजना के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर इस विषय में कई निर्देश दिए.
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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि दुग्ध उत्पादन में वृद्धि से पशुपालकों की आय बढ़ेगी. गुजरात और अन्य प्रांतों में लागू व्यवस्था का अध्ययन कर मध्यप्रदेश में अधिक प्रयास किए जाएं. मुख्यमंत्री यादव ने बारिश में निराश्रित गौवंश की समस्या के निराकरण और खुले में छोड़े गए गौवंश से सड़क दुर्घटनाओं की समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए.
हाईवे पर गौवंश की उपस्थिति से यातायात से जुड़ी समस्या होती है. इसे देखते हुए पशुपालन और डेयरी विभाग की ओर से जानकारी दी गई है कि प्रदेश में पहले चरण में रायसेन, विदिशा, सीहोर, देवास, राजगढ़ आदि जिलों का चयन कर हाइड्रोलिक कैटल लिफ्टिंग व्हीकल को टोल व्यवस्था से जोड़कर इस समस्या के समाधान का कदम उठाया है. इसके लिए जरूरी वाहन व्यवस्था की गई है. यह वाहन गौवंश को नजदीक की गौशाला में टोल नाका संचालक और संस्थानों की मदद से ले जाएंगे. इस सुविधा को जल्द ही अन्य जिलों में शुरू किया जाएगा.
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