ग्लोबल मार्केट में चावल हुआ सस्ता, कीमतों में 600 डॉलर प्रति टन की आई गिरावट

ग्लोबल मार्केट में चावल हुआ सस्ता, कीमतों में 600 डॉलर प्रति टन की आई गिरावट

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, खरीफ और रबी सीजन के दौरान भारत का चावल उत्पादन 2022-23 में 125.51 मिलियन टन की तुलना में 123.83 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है.

चावल की कीमतें
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 27, 2024,
  • Updated Apr 27, 2024, 2:16 PM IST

ग्लोबल मार्केट में चावल काफी सस्ता हो गया है. इसकी कीमतों में 600 डॉलर प्रति टन से अधिक की गिरवाट दर्ज की गई है. हालांकि, जून-जुलाई के आसपास इसके रेट में बढ़ोतरी भी हो सकती है. एक्सपर्ट का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी तब ही संभव है, जब एशिया में धान का बंपर उत्पादन होगा और मॉनसून भी साथ देगा.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, चावल की कीमतों में गिरावट इसलिए आई है, क्योंकि भारतीय सीमा शुल्क अधिकारियों ने  खेपों की जांच कड़ी कर दी है. इससे उबले और सफेद चावल के शिपमेंट रुक गए हैं. थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुसार, भारत के उबले चावल की लागत और मालभाड़ा 537 से 541 डॉलर प्रति टन है, जबकि थाईलैंड द्वारा 604 डॉलर और पाकिस्तान द्वारा 601 से 605 डॉलर प्रति टन पर बेचा जाता है.

चावल की कीमतों में आई गिरावट

थाईलैंड से आने वाले शिपमेंट के लिए सफेद चावल की कीमतें गिरकर 602 डॉलर प्रति टन हो गई हैं और पाकिस्तान और वियतनाम से आने वाली खेप के लिए यह घटकर 575 से 585 डॉलर प्रति टन हो गई है. ऐसे में भारत ने खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों को कम करने के अपने प्रयासों के तहत ही 20 जुलाई 2023 को सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, खरीफ और रबी सीजन के दौरान भारत का चावल उत्पादन 2022-23 में 125.51 मिलियन टन की तुलना में 123.83 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है. वहीं जायद या ग्रीष्मकालीन चावल का उत्पादन लगभग 10 मिलियन टन है और इसके परिणाम की प्रतीक्षा है.

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2024-25 में देखी जा सकती तेजी 

अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, पानी की कम उपलब्धता के कारण 2023-24 में थाईलैंड का चावल उत्पादन 19.9 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो 2022-23 से 5 प्रतिशत कम है. वियतनाम का उत्पादन एक साल पहले के 43.1 मिलियन टन के मुकाबले 43.2 मिलियन टन होने का अनुमान है. हालांकि, भारत के निर्यात प्रतिबंधों के मद्देनजर 2023-24 के दौरान उच्च चावल निर्यात को देखते हुए दोनों देशों के पास कम कैरी ओवर स्टॉक हो सकता है.

अंतर्राष्ट्रीय अनाज परिषद ने अपने नए आंकड़ो में बताया है कि कुल उपयोग और भंडार में गिरावट के अलावा विश्व चावल उत्पादन में मामूली कमी का अनुमान है. हालांकि, 2024-25 में तेजी देखी जा सकती है, हालांकि व्यापार में विस्तार सीमित हो सकता है क्योंकि भारत का प्रतिबंध जारी रह सकता है.

अब मौसम के सहारे है चावल 

भारत ने शुरुआत में सितंबर 2022 में टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, फिर उसने सफेद चावल के शिपमेंट पर 20 प्रतिशत शुल्क भी लगाया था. जुलाई 2023 में, उसने सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और बासमती चावल पर 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय करने के अलावा उबले चावल के शिपमेंट पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया.

वहीं विश्लेषकों का कहना है कि चावल की खपत करने वाले देशों, खासकर अफ्रीका के लिए एक उम्मीद ला नीना मौसम की भविष्यवाणी है, जो इस साल जुलाई से एशिया में अधिक बारिश लाएगा. 2023-24 के दौरान, चावल का उत्पादन अल नीनो मौसम से प्रभावित हुआ, जो जून 2023 में उभरा, जिसके परिणामस्वरूप पूरे एशिया, विशेष रूप से भारत और थाईलैंड में शुष्क मौसम हुआ है. 

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