अल नीनो का असर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी देखने को मिल रहा है. इससे फसलों के ऊपर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. इंडोनेशिया में इस बार अल नीनो के प्रभाव के चलते औसत से काफी कम बारिश हुई है. इसके चलते पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आ सकती है. दरअसल, इंडोनेशिया विश्व का सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक देश है. अगर अल नीनो की वजह से पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आती है, तो पूरी दुनिया में खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. ऐसे में महंगाई और बढ़ जाएगी.
फिच सॉल्यूशंस की एक इकाई, अनुसंधान एजेंसी बीएमआई ने कहा कि इंडोनेशिया के सुमात्रा और कालीमंतन द्वीपों के दक्षिणी हिस्सों में पिछले तीन महीने के दौरान बहुत ही कम बारिश हुई है. इससे विश्व के सबसे बड़े पाम तेल उत्पादक इंडोनेशिया में इसके प्रोडक्शन में गिरावट आने की संभावना बढ़ गई है. वहीं, विश्व बैंककमोडिटी आउटलुक ने कहा कि फसल सीजन 2023-24 में पाम तेल का उत्पादन केवल 0.2 मिलियन टन (एमटी) बढ़ेगा, जो पिछले दस सीज़न में 25 लाख टन की औसत वार्षिक वृद्धि से बहुत कम है.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि अल नीनो का प्रभाव आम तौर पर 7-8 महीने के बाद देखा जाता है. उनके मुताबिक, सितंबर और अक्टूबर अल नीनो का महीना है. इस दौरान अल नीनो का असर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. इससे बारिश काफी कम होती है. उन्होंने कहा कि अब अगले साल अप्रैल-जून के दौरान इसका असर दिखाई देगा. बीवी मेहता ने कहा कि अलनीनो की वजह से निश्चित रूप पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आएगी.
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हालांकि, बीएमआई का कहना है कि साल 2022-23 और साल 2023-24 में 1.2 मिलियन टन का सरप्लस पाम तेल का उत्पादन होगा. जबकि, पिछले पांच सीजन का औसत सरप्लस उत्पादन 3 मिलियन टन रहा है. भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) के अध्यक्ष सुधाकर देसाई की माने तो अलनीनो की वजह से 1.2 मिलियन टन सरप्लस तेल का उत्पादन हो सकता है. वहीं, विभिन्न वैश्विक मौसम एजेंसियों ने भी भविष्यवाणी की है कि मार्च 2024 तक अल नीनो का असर रहेगा. हो सकता है इसका असर जून 2024 तक भी देखने को मिले. एक्सपर्ट की माने तो अगर अल नीनो की वजह से पाम तेल उत्पादन में गिरावट आती है, तो कीमतें बढ़ भी सकती है. इससे महंगाई बढ़ जाएगी.
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