अल नीनो के चलते क्या पाम तेल का उत्पादन भी होगा प्रभावित? जानें महंगाई पर कितना पड़ेगा असर

अल नीनो के चलते क्या पाम तेल का उत्पादन भी होगा प्रभावित? जानें महंगाई पर कितना पड़ेगा असर

विश्व बैंक ने कहा है कि इंडोनेशिया और मलेशिया से अधिक उत्पादन और निर्यात के कारण तीसरी तिमाही में पाम तेल की कीमतों में 7 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो वैश्विक पाम तेल निर्यात में 85 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं. उसने कहा गया है कि साल 2022-23 में वैश्विक पाम तेल निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत बढ़ा है.

अल नीनो की वजह से इंडोनेशिया में औसत से कम बारिश हुई है. इससे पाम तेल की फसल पर भी असर पड़ा है. (सांकेतिक फोटो)अल नीनो की वजह से इंडोनेशिया में औसत से कम बारिश हुई है. इससे पाम तेल की फसल पर भी असर पड़ा है. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 26, 2023,
  • Updated Nov 26, 2023, 10:46 AM IST

अल नीनो का असर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी देखने को मिल रहा है. इससे फसलों के ऊपर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. इंडोनेशिया में इस बार अल नीनो के प्रभाव के चलते औसत से काफी कम बारिश हुई है. इसके चलते पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आ सकती है. दरअसल, इंडोनेशिया विश्व का सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक देश है. अगर अल नीनो की वजह से पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आती है, तो पूरी दुनिया में खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. ऐसे में महंगाई और बढ़ जाएगी.

फिच सॉल्यूशंस की एक इकाई, अनुसंधान एजेंसी बीएमआई ने कहा कि इंडोनेशिया के सुमात्रा और कालीमंतन द्वीपों के दक्षिणी हिस्सों में पिछले तीन महीने के दौरान बहुत ही कम बारिश हुई है. इससे विश्व के सबसे बड़े पाम तेल उत्पादक इंडोनेशिया में इसके प्रोडक्शन में गिरावट आने की संभावना बढ़ गई है. वहीं, विश्व बैंककमोडिटी आउटलुक ने कहा कि फसल सीजन 2023-24 में पाम तेल का उत्पादन केवल 0.2 मिलियन टन (एमटी) बढ़ेगा, जो पिछले दस सीज़न में 25 लाख टन की औसत वार्षिक वृद्धि से बहुत कम है. 

7-8 महीने के बाद दिखता है प्रभाव

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि अल नीनो का प्रभाव आम तौर पर 7-8 महीने के बाद देखा जाता है. उनके मुताबिक, सितंबर और अक्टूबर अल नीनो का महीना है. इस दौरान अल नीनो का असर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. इससे बारिश काफी कम होती है. उन्होंने कहा कि अब अगले साल अप्रैल-जून के दौरान इसका असर दिखाई देगा. बीवी मेहता ने कहा कि अलनीनो की वजह से निश्चित रूप पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आएगी.

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1.2 मिलियन टन सरप्लस तेल का उत्पादन हो सकता है

हालांकि, बीएमआई का कहना है कि साल 2022-23 और साल 2023-24 में 1.2 मिलियन टन का सरप्लस पाम तेल का उत्पादन होगा. जबकि, पिछले पांच सीजन का औसत सरप्लस उत्पादन 3 मिलियन टन रहा है. भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) के अध्यक्ष सुधाकर देसाई की माने तो अलनीनो की वजह से 1.2 मिलियन टन सरप्लस तेल का उत्पादन हो सकता है. वहीं, विभिन्न वैश्विक मौसम एजेंसियों ने भी भविष्यवाणी की है कि मार्च 2024 तक अल नीनो का असर रहेगा. हो सकता है इसका असर जून 2024 तक भी देखने को मिले. एक्सपर्ट की माने तो अगर अल नीनो की वजह से पाम तेल उत्पादन में गिरावट आती है, तो कीमतें बढ़ भी सकती है. इससे महंगाई बढ़ जाएगी.  

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