Cumin Farming: नवंबर में करें जीरे की इन किस्मों की बुवाई, एक हेक्टेयर में होगी इतने लाख की इनकम

Cumin Farming: नवंबर में करें जीरे की इन किस्मों की बुवाई, एक हेक्टेयर में होगी इतने लाख की इनकम

अधिकांश लोगों को लगता है कि नवंबर महीने में सिर्फ रबी और तिलहन फसलों की ही बुवाई की जाती है. लेकिन नवबंर का महीना मसाले की बुवाई के लिए भी अच्छा होता है. आप 25 नवंबर तक जीरे की बुवाई कर सकते हैं. जीरे की कुछ खास किस्मों की बुवाई करने पर आपको 4 महीने बाद बंपर मुनाफा होगा.

जीरे की उन्नत किस्मों की बुवाई. (सांकेतिक फोटो)जीरे की उन्नत किस्मों की बुवाई. (सांकेतिक फोटो)
वेंकटेश कुमार
  • noida ,
  • Nov 06, 2023,
  • Updated Nov 06, 2023, 11:38 AM IST

उत्तर भारत के लोगों को लगता है कि नवंबर महीने में किसान सिर्फ रबी और दलहन की ही बुवाई करते हैं, लेकिन ऐसी बात नहीं है. इस महीने में कई राज्यों में किसान मसाले की भी खेती करते हैं. खास कर नवंबर का महीना जीरे की बुवाई के लिए सबसे सही समय माना गया है. अगर किसान 25 नवंबर तक जीरे की बुवाई करते हैं, तो फसल का ग्रोथ अच्छा होगा और उपजह भी अच्छी होगी. ऐसे भी मार्केट में जीरे की मांग सालों भर रहती है. यह हर घर के रसोई में भी रहता है. जीरे के बगैर हम टेस्टी और लजीज दाल, सब्जी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. वहीं, कई लोग जीरे का इस्तेमाल दवाई के रूप में भी करते हैं. ऐसे में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान नीचे बताए गए तरीके से जीरे की खेती करते हैं, तो अच्छी कमाई कर सकते हैं.

जीरे की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है. इस तरह की मिट्टी में जीरे की उपज बेहतर होती है. जीरे की बुवाई करने से पहले खेत को पहले अच्छी तरह से साफ कर लें. उसके अंदर से सारे खरपतवार बाहर निकाल दें. फिर खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लें और पाटा चलाकर जमीन को समतल कर लें. इसके बाद आप जीरे की बुवाई कर सकते हैं. लेकिन जीरे की बुवाई करने से पहले इसकी उन्नत किस्मों का चयन करना जरूरी होता है. अगर आप उन्नत किस्मों का चयन नहीं करेंगे, तो मेहनत के बाद भी उतना अधिक फायदा नहीं होगा. इसलिए मिट्टी और जलवायु के हिसाब से ही जीरे की किस्मों का चयन करें. ऐसे आर जेड-19 को जीरे की सबसे बेहतरीन किस्म माना गया है. इसकी फसल 120 से 125 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. अगर आप एक हेक्टेयर में जेड-19 किस्म की बुवाई करते हैं, तो 9-11 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो सकती है.

आर जेड- 209 की गिनती जीरे की उन्नत किस्मों में होती है

इसी तरह आर जेड- 209  की गिनती भी जीरे की उन्नत किस्मों में होती है. इसकी फसल 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसके दाने मोटे होते हैं. उसकी उपज क्षमता 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. वहीं, जीसी- 4 किस्म के दाने भी बड़े आकार के होते हैं. इसकी फसल बहुत कम समय 105 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है. अगर आप इसकी बुवाई करते हैं, तो एक हेक्टेयर में 7 से 9 क्विंटल तक जीरे की उपज होगी. वहीं, आर जेड- 223 किस्म को पकने में बहुत कम समय लगता है. इसकी फसल 110-115 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 6-8 क्विंटल है.

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औसत उपज 7 से 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है

कृषि एक्सपर्ट की माने तो जीरे की औसत उपज 7 से 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसकी कीमतें भी डिमांड और सप्लाई के अनुसार ऊपर- नीचे होती रहती हैं. अभी मार्केट में जीरे का भाव 33 से 43 हजार रुपये प्रति क्विंटल है. वहीं, जीरे की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 35 से 40 हजार रुपये का खर्च आता है. ऐसे में अगर किसान एक हेक्टेयर में जीरे की खेती करते हैं, तो लागत निकालने के बाद भी उन्हें कम से कम ढ़ाई से तीन लाख रुपये का फायदा होगा.

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