हरियाणा के करनाल जिले में कृषि विभाग और प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से किए जा रहे प्रयासों के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं. जिले में अब तक 10 केस सामने आ चुके हैं. पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ नियम अनुसार जुर्माना किया गया है. कृषि विभाग का दावा है कि पराली न जलाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. हालांकि ताज्जुब की बात यह है कि घटनाएं नहीं रुकी हैं. पराली जलाने वाले किसानों से करनाल में 32000 का जुर्माना वसूला गया है. जैसे-जैसे धान की कटाई बढ़ेगी वैसे-वैसे पराली जलाने के केस बढ़ने का अनुमान है.
फिलहाल, प्रशासन ने दावा किया है कि जागरूकता के लिए 300 कार्यक्रम ग्रामीण स्तर पर, 6 खंड स्तर और एक जिला स्तर पर आयोजित किया गया. इन कार्यक्रमों में भारी संख्या में किसानों ने भाग लिया. कृषि विभाग से मिले आकड़ों पर गौर करें तो इस बार जिले में 4 लाख 25 हजार एकड़ में धान की फसल लगाई गई है, इसमें से करीब 1 लाख 60 हजार एकड़ में बासमती तो बाकी में गैर बासमती की फसल लगी हुई है.
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कृषि अधिकारी ने बताया पराली जलाने से जहां प्रदूषण बढ़ता है, तो वहीं मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं. इसे न जलाने के लिए सरकार प्रति एकड़ एक हजार रुपये का अनुदान भी दे रही है. अब आग लगने की घटनाओं में काफी कमी आई है. किसानों से अनुरोध है कि इनसीटू या एक्ससीटू के माध्यम से फसल अवशेष पबंधन करें. उन्होंने कहा कि अब तो पराली की गांठों को खरीदा जा रहा है. जिसका प्रति मीट्रिक टन 1290 रुपए रेट निर्धारित किया है.
उप कृषि निदेशक वजीर सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए चलाई जा रही योजनाओं का असर किसानों पर दिखाई देने लगा है. जहां किसान तेजी से फसल अवशेष प्रबंधन के तरीकों को अपना रहे हैं. उसी तेजी से जिले में पराली में आग लगाने की घटनाओं में काफी कमी दर्ज की जा रही है. अगर 2021 में पराली में आग लगाने की घटनाओं की बात करें तो तब 957 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2022 में मामले घटकर 309 तक पहुंच गए हैं.
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