Black Paddy Farming: 250-500 रुपये किलो बिकता है काला चावल, उगाने की तैयारी में जुटे किसान अपनाएं ये विधि 

Black Paddy Farming: 250-500 रुपये किलो बिकता है काला चावल, उगाने की तैयारी में जुटे किसान अपनाएं ये विधि 

खरीफ सीजन में काला धान की बुवाई की तैयारी कर रहे किसान आधुनिक विधियां अपनाकर बंपर उपज हासिल कर सकते हैं. इसका उत्पादन औसतन प्रति एकड़ 12-15 क्विंटल होता है.

काला धान का पौधा 4.5 फीट की ऊंचाई तक पहुंचता है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 02, 2024,
  • Updated May 02, 2024, 3:46 PM IST

अधिक कीमत और कई पोषक तत्वों से लैस होने के चलते काला धान की बाजार में खूब मांग है. खरीफ सीजन में काला धान की बुवाई की तैयारी कर रहे किसान आधुनिक विधियां अपनाकर बंपर उपज हासिल कर सकते हैं. काला धान की किस्मों में कालाबाती और चखाओ खूप पॉपुलर हैं. काला चावल की बाजार में कीमत 250 रुपये से 500 रुपये किलो तक मिल रही है. 

खरीफ सीजन में काला धान की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत को तैयार करना जरूरी है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार धान की फसल के लिए खेत की पहली जतुाई मिट्टी पलटने वाले हल से और 2-3 जतुाई कल्टीवेटर से करके खेत तैयार करना चाहिए. इसके अलावा खेत की मजबूत मेड़बंदी करनी चाहिए, ताकि बारिश का पानी अधिक समय तक खेत में रोका जा सके. धान की रोपाई से पहले खेत को पानी भरकर जतुाई कर दें और जतुाई करते समय खते को समतल करना न भूलें.

दूसरी धान से बड़ा होता है पौधा 

काला चावल की पैदावार सबसे पहले चीन में हुई थी, बाद में यह भारत के मणिपुर में उगाया जाने लगा. इसे मणिपुर काला धान या चखाओ काला धान के नाम से जाना जाता है. इसे अनुकूल मौसम और जलवायु के चलते असम और सिक्किम और ओडिशा समेत कुछ अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में भी उगाया जाता है. यह काला धान 100 से-120 दिन में तैयार हो जाता है और इसका पौधा पौधा 4.5 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है, जो आम धान फसल के पौधे की तुलना में बड़ा होता है. 

जैविक विधि से उगाई जाती है धान 

काला चावल को अपना काला आकर्षक रंग एंथोसायनिन से मिलता है, एक प्राकृतिक काले रंग का रंगद्रव्य जो इन चावलों को असाधारण एंटीऑक्सीडेंट और अन्य हेल्थ बेनेफिट्स वाला बना देता है. इसे जैविक तरीके से उगाया जाता है, जिससे इसकी न्यूट्रीशन वैल्यू बढ़ जाती है. किसान काला धान बुवाई के दौरान जीबामृत, वर्मीकम्पोस्ट और जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं. इसकी खेती में रासायनिक खादों के इस्तेमाल से बचा जाता है. 

एक एकड़ में 15 क्विंटल तक उत्पादन 

काला धान की फसल का भी आम धान फसल की तरह ही बाली की शुरुआत और दाना भराव होता है. इसका उत्पादन औसतन प्रति एकड़ 12-15 क्विंटल होता है. काले चावल का इस्तेमाल ज्यादातर औषधि के रूप में खीर के रूप में किया जाता है. काला चावल का आटा, सूजी, सिरप, बीयर, वाइन, केक, ब्रेड, लड्डू और अन्य मीठे खाद्य पदार्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट समेत कुछ अन्य वस्तुओं को बनाने में किया जाता है. 

500 रुपये किलो तक कीमत मिलती है 

काला धान की खेती आम धान की तरह ही की जाती है, लेकिन इसका चावल अन्य किस्मों की तुलना में दोगुनी कीमत पर बिकता है. आमतौर पर सामान्य धान का चावल 50-60 रुपये प्रति किलो में बिकता है. जबकि, काला चावल बाजार में 200 रुपये से 500 रुपये किलो तक बिकता है. इसे खाड़ी देशों के साथ ही कई यूरोपीय देशों में निर्यात किया जाता है.

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