किसानों के लिए मार्केट में आया ये नया मंसूरी धान, नई वैरायटी से उपज मिलेगी दमदार

किसानों के लिए मार्केट में आया ये नया मंसूरी धान, नई वैरायटी से उपज मिलेगी दमदार

इस धान की खासियत ये है कि कम पानी, उर्वरक और कम खर्च में सामान्य धान की तुलना में अधिक उपज मिलती है. धान की नई वैरायटी का नाम सबौर मंसूरी है जो लगभग डेढ़ गुना अधिक उपज देती है. आपको बता दें कि केंद्र से इस किस्म की अधिसूचना एक महीने में जारी हो जाएगी.

मंसूरी धान
संदीप कुमार
  • Noida,
  • May 02, 2024,
  • Updated May 02, 2024, 11:36 AM IST

धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. धान की खेती करने वाले ज्यादा किसान इस उम्मीद में खेती करते हैं कि उन्हें अन्य फसलों के मुकाबले इससे अच्छा उत्पादन और अधिक मुनाफा मिल सके. वहीं मई आते ही कई राज्यों में किसान धान की बिजाई यानी नर्सरी लगना शुरू कर देते हैं. साथ ही किसान चाहते हैं कि वो ऐसी किस्मों की खेती करें जिससे उनकी फसल जल्दी तैयार हो जाए और बढ़िया उत्पादन भी मिले,  लेकिन ज़्यादातर किस्मों के तैयार होने में 130-140 दिन लग जाते हैं, जिससे आगे की खेती में देरी हो जाती है. किसानों के इन्ही परेशानियों के समाधान के लिए मार्केट में नया किस्म मंसूरी धान आया है. आइए जानते हैं इस नई वैरायटी से कितनी उपज मिलेगी.

122 क्विंटल उपज वाली किस्म

इस किस्म का नाम है सबौर मंसूरी धान. इस धान की खासियत ये है कि कम पानी, उर्वरक और कम खर्च में सामान्य धान की तुलना में अधिक उपज देती है. धान की नई वैरायटी सबौर मंसूरी से लगभग डेढ़ गुना अधिक उपज मिलती है. आपको बता दें कि केंद्र से इस किस्म की अधिसूचना एक महीने में जारी हो जाएगी. ऐसे में इस खरीफ मौसम में ही किसान इस धान की खेती कर सकेंगे. वहीं इस धान की खास बात ये है कि इस धान के बीज को बिना रोपनी के सिधी बिजाई से भी लगा सकते हैं. साथ ही इसका औसत उत्पादन 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. वहीं अधिकतम उत्पादन की बात करें तो वो 122 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. इसके अलावा ये धान सीधी बुवाई में 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाता है.

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इन 9 राज्यों में होगी खेती 

सबौर मंसूरी धान का उत्पादन देश के 9 राज्यों में किया जाएगा. इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और पुडुचेरी शामिल हैं. धान की इस नई किस्म की खोज बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने की है. वहीं पिछले 4 वर्षों तक बिहार सहित देश के 19 राज्यों में अखिल भारतीय समन्वित धान सुधार परियोजना के तहत 125 केंद्रों पर परीक्षण किया गया था.

इन जिलों में हुआ परीक्षण

बिहार में इसका परीक्षण, किशनगंज, सहरसा, मधेपुरा, भागलपुर, लखीसराय, बेगूसराय, बक्सर, औरंगाबाद, गया, रोहतास और पटना में किया गया था. इस जांच में वैज्ञानिकों को बेहतर परिणाम देखने को मिले. वहीं वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वैरायटी के पौधे में औसतन 18 से 20 कल्ले होते हैं, जिसमें 300 से अधिक दाने पाए जाते हैं. दाने का रंग सुनहरा होता है. साथ ही यह नाटी मंसूरी के दाने जैसा होता है.

कीट और रोग प्रतिरोधी क्षमता

धान की इस प्रजाति में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. ये धान झुलसा और झोंका रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है. साथ ही तना छेदक और भूरा पत्ती लपेटक कीट के प्रति सहनशील है. साथ ही इसका तना भी बहुत मजबूत होता है. जिससे ये बदलते मौसम और बार-बार आने वाले आंधी-तूफान में भी नहीं गिरेगा.

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