सियासत में संख्या बल सबसे अहम होता है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तीन सूबों में करीब सवा दो करोड़ किसान परिवार हैं. इसका मतलब करीब 9 करोड़ लोग. वो लोग जो गांवों में रहते हैं और सबसे ज्यादा वोट करते हैं. बीजेपी ने कुछ इसी तरह की गणित से इन तीनों सूबों के विधानसभा चुनावों में किसानों के मुद्दों पर फोकस किया. खासतौर पर रबी और खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों के दाम पर. जिसे न मिलने का किसान अक्सर रोना रोते रहते हैं. पार्टी के रणनीतिकारों ने 2,700 रुपये प्रति क्विंटल पर गेहूं और 3100 रुपये के दाम पर धान खरीदने का वादा किया. जबकि साल 2024-25 के लिए गेहूं का एमएसपी 2275 और धान की एमएसपी सिर्फ 2183 रुपये प्रति क्विंटल ही है. धान, गेहूं का इतना दाम मिलने की 'मोदी की गारंटी' पर किसान लहालोट हो गए और उन्होंने बीजेपी के पक्ष में वोटों की बारिश कर दी.
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बीजेपी की प्रचंड जीत के पीछे चार बड़े कारण सामने आए हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम, फ्री राशन, महिलाओं और खेती-किसानी पर फोकस से जीत की राह आसान हो गई. दरअसल, तीनों सूबों में पार्टी ने गेहूं, धान और किसान को तवज्जो दी. यहां तक कि तीनों के संकल्प पत्र में वादों की जो झड़ी लगाई गई है उसके पहले पन्ने में किसानों के मुद्दों को ही जगह दी गई है. मोदी के सामने कांग्रेस की गारंटी फीकी पड़ गई.
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किसान नेता बिनोद आनंद का कहना है कि किसानों से जुड़े वादों ने बीजेपी को जिताने में अहम भूमिका अदा की. बीजेपी ने 2,700 रुपये प्रति पर गेहूं और 3100 रुपये के दाम पर धान खरीदने की घोषणा की हुई है. यह लगभग सी-2 कॉस्ट की एमएसपी जितनी रकम है. किसानों को इतना दाम मिलेगा तो फिर किसान संगठनों का सी-2 वाली एमएसपी का मुद्दा खत्म हो जाएगा. मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार हर परिवार को लाडली बहना योजना के तहत सालाना 12,000 रुपये और किसान निधि के 10000 रुपये दे रही है. साथ में राशन फ्री है. उपर से धान, गेहूं की खरीद पर बोनस देने की घोषणा ने वोटरों को बीजेपी की ओर खींचा और कांग्रेस को हाशिए पर खड़ा कर दिया.
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