Rajasthan: सीताफल एक्सीलेंस सेंटर के बारे में जानते हैं आप! बन रहे हैं कई रिकॉर्ड 

Rajasthan: सीताफल एक्सीलेंस सेंटर के बारे में जानते हैं आप! बन रहे हैं कई रिकॉर्ड 

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में सीताफल एक्सीलेंस सेंटर है. इस केन्द्र में सीताफल को लेकर कई तरह की रिसर्च चल रही है. साथ ही केन्द्र सीताफल उगाने की ट्रेनिंग यहां के किसानों को देता है, ताकि स्थानीय किसान इसकी खेती कर अधिक लाभ कमा सकें.

सीताफल एक्सीलेंस सेंटर में फल उत्पादन के बाद केन्द्र की टीम. फोटो- By Arrangment सीताफल एक्सीलेंस सेंटर में फल उत्पादन के बाद केन्द्र की टीम. फोटो- By Arrangment
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Apr 14, 2023,
  • Updated Apr 14, 2023, 4:51 PM IST

क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में सीताफल एक्सीलेंस सेंटर है. यह सेंटर सीताफल को लेकर कई तरह की रिसर्च और शोध कर रहा है ताकि सीताफल की खेती को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाया जा सके. इसमें फलों का उत्पादन, किस्मों का परीक्षण, उन्नत किस्मों के सीताफल के पौधे तैयार करना और फसल पकने के बाद कटाई के तौर-तरीकों को भी किसानों को सिखाया जाता है. बता दें कि चित्तौड़गढ़ में निम्बाहेड़ा रोड़ पर करीब पांच हेक्टेयर में सीताफल एक्सीलेंस सेंटर फैला हुआ है. 

ये हैं केन्द्र के मुख्य काम

2020 में शुरू हुए सीताफल एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में सीताफल की उन्नत खेती को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही किसानों को ट्रेनिंग, नए बगीचे बनाना, स्थानीय जलवायु के अनुसार सीताफल की खेती की जागरूकता बढ़ाने, सीताफल से बनने वाले उत्पादों की जानकारी देना और किसानों को सीताफल के बगीचे लगाने के लिए तकनीकी जानकारी देना है.

इन सब कामों के लिए सीताफल एक्सीलेंस सेंटर 5 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है. पानी के लिए ट्यूबवैल, किसानों के लिए ट्रेनिंग हॉल, सोलर संयंत्र, किस्म परीक्षण की सुविधा है. केन्द्र की ओर से अब तक 540 किसानों को सीताफल की खेती के संबंध में ट्रेनिंग दी गई है. वहीं, केन्द्र पर अब तक 1557 किसान, अधिकारियों ने सीताफल की खेती के संबंध में विजिट किया है.

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अब तक 12 हजार सीताफल के पौधे बेचे

इस केन्द्र में सहायक उपनिदेशक पद पर काम कर रहे राजाराम सुखवाल से किसान तक ने बात की. वे कहते हैं, “2020 में ये सेंटर शुरू हुआ. फिर कोरोना के चलते यहां काम नहीं हो पाया. इसीलिए पिछले साल अक्टूबर में बिल्डिंग हमें वापस मिली. इस साल यानी 2022-23 में पौंधों के बेचने से केन्द्र को 8.72 लाख रुपये की आय हुई. वहीं, हमने 40,428 सीताफल के पौधे तैयार किए. इसमें से करीब 11671 पौधे बेचे गए. इसी तरह केन्द्र ने अलग-अलग तरह के कुल 1,16,328 पौधे तैयार किए और 54074 पौधे बेचे गए. ”

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सालभर तक सीताफल के पल्प को सुरक्षित रखा जा सकेगा

सुखवाल बताते है कि सीताफल के पल्प बहुत मीठा होता है. इसीलिए इसकी सेल्फ लाइफ ज्यादा नहीं होती. इसीलिए बीते दिनों केन्द्र ने कैंपस में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की है. इससे गर्मियों में भी सीताफल खाने को मिल सकेगा. यहां करीब माइनस 20 डिग्री पर सीताफल के पल्प को सुरक्षित रखा जाएगा. केन्द्र सुरक्षित किए गए पल्प को 300-400 रुपये प्रति किलो के भाव से बेचेगा. सीताफल के अलावा अंगूर, संतरा और स्ट्रोबेरी को भी इस कोल्ड स्टोरेज में सुरक्षित रखा जा सकेगा. 

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