AI : UP में कृत्रिम गर्भाधान से आएगी क्रांति, 131 दिन में 86 परसेंट टारगेट पूरा

AI : UP में कृत्रिम गर्भाधान से आएगी क्रांति, 131 दिन में 86 परसेंट टारगेट पूरा

उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पशुपालन और डेयरी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. प्रदेश की योगी सरकार ने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए इन दिनों कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम कर रही है. इन्हीं में से एक अभियान 15 नवंबर 2022 में कृत्रिम गर्भाधान के रूप में शुरू हुआ. 131 दिन चले इस अभियान में उन्नत नस्ल के सीमेन को गाय और भैंस में स्थापित किया गया. सरकार का दावा है कि उसने 86 परसेंट टारगेट पूरा किया है और अब नतीजे का इंतजार है.

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AI : UP में कृत्रिम गर्भाधान से आएगी क्रांति, 131 दिन में 86 परसेंट टारगेट पूराUP में कृत्रिम गर्भाधान से आएगी क्रांति, सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पशुपालन और डेयरी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. प्रदेश की योगी सरकार ने  देश में सबसे ज्यादा पशु आबादी वाले उत्तर प्रदेश में पशुओं की नस्ल सुधार के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए इन दिनों कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम किया जा रहा है. इन्हीं में से एक अभियान  15 नवंबर 2022 में कृत्रिम गर्भाधान (AI ) के रूप में शुरू हुआ. 100 दिन के इस अभियान में उन्नत नस्ल के सीमेन को गाय और भैस में स्थापित करने का अभियान प्रदेश के सभी 75 जिलों में चलाया गया. योगी सरकार इस अभियान के जरिए 60 लाख लीटर दूध उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. 15 नवंबर से शुरू हुए इस अभियान को 25 फरवरी 2023 तक चलाना था लेकिन बाद में इसे पूरे मार्च महीने तक चलाया गया. अब तक 65 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान हो चुका है जो सरकार की एक बड़ी सफलता है.

कृत्रिम गर्भाधान (AI) के फायदे

कृत्रिम गर्भाधान अभियान का संचालन उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के सभी प्रदेशों में हो रहा है. कृत्रिम गर्भाधान के अपने कई फायदे हैं जिसको अलग-अलग तरीके से समझा जा सकता है.

सांड का बेहतर उपयोग

गाय के लिए कृत्रिम गर्भाधान काफी सस्ता एवं सुलभ है. देश के भीतर अच्छी नस्ल के सांड की संख्या लगातार कम हो रही है. उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के अपर निदेशक गोधन डॉ. राजेश कुमार ने किसान तक को बताया कि कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया में सांड का बेहतर उपयोग होता है. एक सांड के जरिए प्राकृतिक तरीके से हफ्ते में केवल 2 गायों का ही गर्भाधान किया जा सकता है. जबकि उसके सीमेन को निकालकर इससे करीब 400 गायों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकता है. वहीं पशुपालकों के लिए लाभ यह है कि इस विधि में सांड हो या फिर भैंसा, उनसे दूसरे पशुओं में बीमारी ट्रांसफर नहीं होता है.

नस्ल सुधार के लिए जरूरी है कृत्रिम गर्भाधान (AI)

देश में गाय और भैंस के लिए अच्छी नस्ल का सीमेन उपलब्ध है. उत्तर प्रदेश का पशुपालन विभाग कृत्रिम गर्भाधान अभियान के माध्यम से नस्ल सुधार की दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत चलाए जा रहे कृत्रिम गर्भाधान अभियान से अच्छे नस्ल के मवेशियों की संख्या बढ़ाने का भी लक्ष्य है. अभी तक प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का कवरेज 30 फ़ीसदी था जिसे बढ़ाकर 50 फ़ीसदी तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. अपर निदेशक गोधन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान अभियान से अच्छी नस्ल के मवेशियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी तो दूध उत्पादन में भी इजाफा होगा. कृत्रिम गर्भाधान अभियान पूरी तरह से सफल रहा है. इस अभियान में पशुपालन विभाग को निर्धारित लक्ष्य का 86 फ़ीसदी तक सफलता मिली है. कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से पशुपालकों को घर बैठे मनचाही नस्ल के सीमेन से गर्भाधान कराने की सुविधा मिल रही है. गाय और भैंस में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से अच्छी नस्ल के पशुओं की संख्या बढ़ रही है. 

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कृत्रिम गर्भाधान(AI) सस्ती एवं सर्व सुलभ विधि

कृत्रिम गर्भाधान एक सस्ती एवं सर्व सुलभ तकनीक है. यह तकनीक आज उत्तर प्रदेश में किसान को घर बैठे मिल रही है. सरकार के द्वारा किसान के दरवाजे पर ही कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध है. इस सुविधा के माध्यम से जहां पशुपालकों की समय की बचत होती है. वही उसके श्रम की भी बचत होती है. उसे सांड के पास ले जाने की जरूरत नहीं होती है. वही कृत्रिम गर्भाधान एक सस्ती विधि भी है क्योंकि सरकार के द्वारा पशुपालकों से कोई पैसा नहीं लिया  जाता है. 

कृतिम गर्भाधान अभियान से बढ़ेगा दूध उत्पादन

उत्तर प्रदेश में  दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने 15 नवंबर 2022 से 100 दिवसीय अभियान की शुरुआत की. इस अभियान के अंतर्गत प्रदेश के सभी 75 जिलों में गाय और भैंस के 75 लाख गर्भाधान किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. यह अभियान 25 फरवरी 2023 तक चलना था लेकिन इसे मार्च 2023 तक चलाया गया. कुल 131 दिन के भीतर प्रदेश में 65 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान करने में पशुपालन विभाग को सफलता मिली है, जो निर्धारित लक्ष्य का 86 फ़ीसदी है. इस अभियान से प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा. अभी तक प्रदेश में 372 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हो रहा है. इस हिसाब से करीब 90 लाख लीटर दूध प्रतिदिन उत्पादन होता है जिसे सरकार 150 लाख लीटर प्रति दिन के लक्ष्य तक ले जाने की योजना पर काम कर रही है. इस अभियान के जरिए प्रदेश में करीब 30 लाख गाय भैंस की आबादी बढ़ेगी. वही प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी बढ़ेगी.

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