पंजाब के कपूरथला में नकली बीज का मामला सामने आने के बाद एक और मामला सामने आया है. इस बार किसानों को मिलावटी बीज दिए जाने का मामला सामने आया है. इस मिलावटी बीज ने किसानों के सामने एक समस्या खड़ी कर दी है. एक ही खेत में दो तरह से धान उग गए हैं. धान के आधे पौधों में दाने भर चुके हैं और पक रहे हैं. जबकि उसी खेत में कुछ पौधे बिल्कुल हरे हैं. किसानों का कहना है कि धान की रोपाई के समय मिलावटी बीज किसानों को दिए जाने के कारण यह समस्या पैदा हो गई है.
'द ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार कपूरथला के नवापिंड गेटवाल गांव के किसान गूरनूर सिंह ने कहा कि बड़ी उम्मीद में उन्होंने अपनी 70 एकड़ जमीन में धान की खेती की थी. लेकिन आज उन्हें अपने खेतों के पास जाने का मन नहीं करता है. उन्होंने कहा कि उनके खेत में धान के कुछ पौधों में अभी कलियां भी नहीं निकली हैं, जबकि पौधों में धान के दाने लगभग पक गए हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह समस्या सिर्फ उनके खेतों तक ही सीमित नहीं है. कई ऐसे और भी किसान हैं जो इस तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Success Story: यूपी के किसानों ने की ताइवानी पिंक अमरूद की खेती, महज 6 महीने में बदल गई किस्मत
खेतों में धान की इस स्थिति को देखकर किसानों को फसल नुकसान होने का खतरा सता रहा है. क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और पैदावार दोनों ही प्रभावित हो सकती है. इसकी जांच में यह बात सामने आई है कि किसानों ने जो बीज लगाया था, उस बीज में एक अज्ञात किस्म का कम अवधि वाला बीज मिला हुआ था. इसके कारण इस तरह की समस्या का सामना किसानों को करना पड़ रहा है. कृषि विभाग ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए बीज भंडार के मालिक का लाइसेंस रद्द कर दिया है. साथ ही इस किस्म को बनाने वाली कंपनी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
किसानों को इस समस्या का सामना गुरदसापुर में करना पड़ रहा है. गुरदासपुर के मुख्य कृषि पदाधिकारी ने बताया कि उनके पास भी किसानों ने ऐसी शिकायत की है. उन्होंने भी कार्रवाई करते हुए बीज दुकान के मालिक और कंपनी के खिलाफ नोटिस जारी किया है. बता दें कि कपूरथला के नवापिंड गेटवाल, मिठरा, छोटा बुलपूर समेत कई गांवों के किसानों ने 800 एकड़ से अधिक जमीन पर लंबी अवधि वाली किस्म एसआर 110 किस्म की बुवाई की थी. किसानों ने कहा कि यह बीज स्थानीय स्टोर से खरीदे गए थे. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि बीज की यह किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अनुशंसित नहीं है.
ये भी पढ़ेंः प्राकृतिक तरीके से उगाए गेहूं को 1725 रुपये अधिक में खरीदेगी राज्य सरकार, मक्का किसानों को भी अधिक कीमत मिलेगी
कपूरथला में यह मामला सामने आने के बाद किसानों ने कपूरथला के मुख्य कृषि पदाधिकारी को संपर्क किया. इसके बाद मुख्य कृषि अधिकारी ने जांच के लिए पांच सस्यीय समिति गठित की. समिति की तरफ से दी गई रिपोर्ट के अनुसार धान में मिश्रण की सीमा अधिकतम 1-2 प्रतिशत तक चल सकती है. जबकि इस धान में मिश्रण की मात्रा 15-20 प्रतिशत पाई गई है. विभाग के अधिकारी ने कहा कि वो इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं.