महाराष्ट्र में विभिन्न हिस्सों में किसान लगातार नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. इसके साथ ही वे पारंपरिक फसलों को छोड़कर फसल प्रणाली को भी बदल रहे हैं. वहीं राज्य के जलगांव जिले में किसान राजेश डफर ने काले गेहूं की खेती की है. शुरू में इस किसान ने प्रायोगिक तौर पर इसकी खेती की, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. जलगांव के इस किसान ने एक एकड़ में काले गेहूं की बुआई की, जिसमें उन्हें 18 क्विंटल की पैदावार मिली है. काला गेहूं सामान्य गेहूं से बहुत अधिक रेट पर बिकता है. यहीं बात इस किसान के साथ भी लागू हुई है. इस किसान ने अपनी उपज को 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा है.
किसान राजेश डफर ने गूगल से सीख कर काले गेहूं की खेती की है. उन्होंने बताया कि काला गेहूं हमारा शरीर के लिए अच्छा होता है. चूंकि इस गेहूं के फायदे बड़े हैं. साथ ही उन्होंने खेती में कुछ नया भी करना था, इसके चलते डफर ने काले गेहूं की खेती करने की सोची. डफर ने बताया की उनके के लिए ये बहुत बड़ा चुनौतिपूर्ण था. उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्हें गेहूं का बीज मिलेंगे में परेशानी हुई. उन्होंने कई जगह पूछताछ की, उसके बाद उन्हों बीज मिला. राजेश डफर ने शुरुआत में 40 किलो बीज से एक एकड़ खेत में बुवाई की. उन्होंने बताया कि उन्हें पहली बार में ही 18 क्विंटल काला गेहूं का उत्पादन मिला. जिसका भाव उन्हें बाजार में 70 रुपये प्रति किलो की मिला है.
काला गेहूं भी सामान्य गेहूं के आकार का होता है. इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते है. इसलिए बाजार में काले गेहूं की मांग बढ़ती ही जा रही है. काले गेहूं में पाए जाने वाला एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर होता है. काला गेहूं रंग व स्वाद में सामान्य गेहूं से अलग होता हैं, लेकिन काला गेहूं बेहद पौष्टिक होता है. इसके अलावा काले गेहूं में एंटीऑक्सिडेंट, बी विटामिन, फोलिक एसिड, सेलेनियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जिंक, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, फाइबर और अमीनो एसिड होते हैं. इसलिए इस गेहूं का दाम अधिक होता है. इसलिए इसे एक समृद्ध पौष्टिक और स्वस्थ आहार में शामिल किया जाता है.