महाराष्ट्र के किसान अक्सर कभी अकाल तो कभी ओलावृष्टि की मार झेल रहे हैं. कई बार वो फसलों को सही दाम न मिलने पर मायूस नजर आते हैं. इस बीच महाराष्ट्र के सतारा जिले के फलटन तालुका के वाठर निंबालकर गांव निवासी दो सगे भाइयों द्वारा की गई अनार की खेती किसानों के लिए मिसाल बन गई है. इन दो भाइयों ने 8 एकड़ में अनार की ऑर्गेनिक खेती कर एक साल में करीब 80 लाख रुपये की कमाई की. महाराष्ट्र प्रमुख अनार उत्पादक है. यहां के सोलापुर सहित कई जिलों में इसकी बड़े पैमाने खेती की जाती है.
वैसे तो फलटन तालुका में अनार के कई बाग दिखाई देते हैं पर वाठार निंबालकर गांव के अमोल अहिरेकर और चंद्रकांत अहिरेकर द्वारा की गई खेती की क्षेत्र में चर्चा हो रही है. इन्होंने ऑर्गेनिक तरीके से खेती की है, जिसके उत्पाद रासायनिक खेती के मुकाबले महंगे होते हैं. इनके पूरे परिवार ने अनार की खेती में बेजोड़ मेहनत की. अब उनकी मेहनत रंग लाती नजर आ रही है.
अहिरेकर परिवार पास कुल 42 एकड़ खेती है. जिनमें से 20 एकड़ पर अनार का बाग है. 20 एकड़ मे से 8 एकड़ बाग में फल तैयार है. इस 8 एकड़ में 2200 पौधों पर 300 ग्राम से लेकर 700 ग्राम तक के अनार के फल लदे हैं. प्रति एकड़ 8 से 10 टन अनार का उत्पादन मिलने की आशा चंद्रकांत अहिरेकर ने जताई है. यानी 8 एकड़ में 80 टन से ज्यादा अनार का उत्पादन उन्हें मिल सकता है. इस अनार को व्यापारी ने 129 रुपये प्रति किलोग्राम दाम दिया है. जिसे नेपाल और बांग्लादेश में निर्यात किया जाएगा.
पिछले 26 साल से चंद्रकांत अहिरेकर और अमोल अहिरेकर अनार की खेती करते हैं. बड़ी खेती की वजह से उन्हें नुकसान नहीं हुआ, बल्कि हर साल तरक्की होती गई. दोनों भाइयों ने बताया कि वो सही समय पर अनार के पेड़ों की छंटाई और फल लगने के समय पर अनार के पेड़ों को ज्यादातर गोबर का खाद देने का काम करते हैं. अनार के पेड़ों पर जलवायु में बदलाव का काफी असर होता है, इसलिए सही समय पर अनार पर ट्रैक्टर से औषधि का भी छिड़काव भी किया जाता है.
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अहिरेकर परिवार के साथ ही 25 से 30 महिलाएं उनके खेत में काम करती हैं. उन्हें रोजगार मिल रहा है. पिछले कुछ दिनों से कीटों के अटैक के कारण अनार के उत्पादक परेशान हैं. चंद्रकांत अहिरेकर ने कहा कि कीटों के अटैक का समाधान खोजने की जरूरत है. आहिरेकर परिवार पिछले कई वर्षों से अच्छी अनार की फसल आने पर पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार को अनार भेंट करने जाते हैं. इस साल पवार ने इस किसान फैमिली को ईरान में अनार निर्यात करने की सलाह दी है.
अहिरेकर परिवार के पास पुरखों की डेढ़ एकड़ जमीन थी. 1996 में उन्होंने पहली बार इस डेढ़ एकड़ जमीन में अनार की फसल लगाई. अहिरेकर परिवार ने बेजोड मेहनत की और पहले ही साल उन्हें अच्छा मुनाफा मिला. इस पैसे से उन्होंने पास में और 4 एकड़ जमीन खरीदी, उस 4 एकड़ में भी अनार के पौधे लगाए. उसमें भी फायदा हुआ. इसी की खेती से यह परिवार अब तक 42 एकड़ खेती खरीद चुका है.