महाराष्‍ट्र में प्‍याज फसल का बीमा करवाने में बढ़ी किसानों की रुचि, इन वजहों से बढ़ा कवरेज एरिया

महाराष्‍ट्र में प्‍याज फसल का बीमा करवाने में बढ़ी किसानों की रुचि, इन वजहों से बढ़ा कवरेज एरिया

वर्ष 2024-25 में महाराष्ट्र में 7.43 लाख हेक्टेयर से ज्‍यादा क्षेत्र में प्याज फसल का बीमा हुआ है. पांच साल पहले यानी वर्ष 2019-20 में 45,000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्‍याज फसल का बीमा करवाया गया था. जलवायु परिवर्तन और बीमा प्रीम‍ियम की राशि घटने से यह वृद्धि देखी जा रही है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 13, 2025,
  • Updated Feb 13, 2025, 12:47 PM IST

महाराष्‍ट्र के प्‍याज किसान जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से बचने के लिए बड़ी संख्‍या में फसल बीमा को लेकर रुच‍ि दिखा रहे हैं. बीते कुछ सालों में फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्‍या तेजी से बढ़ी है. राज्य कृषि विभाग ने कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपने खेतों का बीमा कराने वाले प्याज किसानों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2024-25 में महाराष्ट्र में 7.43 लाख हेक्टेयर से ज्‍यादा क्षेत्र में प्याज फसल का बीमा हुआ है. पांच साल पहले यानी वर्ष 2019-20 में 45,000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्‍याज फसल का बीमा करवाया गया था.

अधिकारियों का कहना है कि सरकार की ओर से बहुत कम प्रीमियम घोषित किए जाने के फैसले से बीमा करवाने वाले किसानों की संख्‍या में बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2023 से महाराष्ट्र के किसानों को प्‍याज के बीमा के लिए सिर्फ 1 रुपये प्रीमियम चुकाना होता है. यही वजह है क‍ि बीमा कवरेज में बढ़ोतरी हुई है. 

किसान को मिला 60 हजार का क्‍लेम

'इंडियन एक्‍सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, नासिक जिले के नायगांव गांव के 40 वर्षीय किसान संदीप पंसारे ने कहा कि पिछले साल उन्‍होंने अपनी पांच एकड़ प्याज की फसल का बीमा करवाया था. दुर्भाग्‍य से अप्रैल में बेमौसम बारिश से उनकी फसल चौपट हो गई थी, जिसके लिए उन्‍हें नवंबर में 60 हजार रुपये क्‍लेम मिला था. हालांकि, कमाई के लिहाज से जितना नुकसान हुआ, उसकी मुआवजे से भरपाई होना तो मुश्‍किल है, लेकिन उनकी बुवाई की लागत जरूर वापस मिल गई.

बेमौसम बारिश और कीटों का प्रकोप बढ़ा

किसान ने कहा कि बेमौसम बारिश और कीटों का प्रकोप बढ़ रहा है. ऐसे में प्याज किसानों के लिए फसल बीमा एक अच्छी सुवि‍धा है. इस इलाके में बड़ी संख्‍या में किसान फसल बीमा करवा रहे हैं, इसके लिए प्रीमियम 1 रुपये चुकाना पड़ रहा है, जो कि बुरा नहीं है. नायगांव के ही एक अन्य किसान एकनाथ सनप ने भी कहा कि बीमा कवर फसल के नुकसान के भरपाई के लिए एक अच्छा सहारा है. किसान इसमें रुच‍ि दिखा रहे हैं. 

अत्‍यधिक बारिश की घटनाएं बढ़ी

महाराष्ट्र देश में 34 प्रतिशत से ज्‍यादा उत्‍पादन के साथ सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्‍य है. यहां के किसानों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश को लेकर कोई समय तय नहीं होता है. अब कई बार भारी बारिश की घटनाएं होती हैं. यही वजह है कि किसान फसल बीमा योजना को अपनाने लगे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच मॉनसून सत्रों में से चार बार यह देखा गया है कि प्याज उत्‍पादक क्षेत्रों में खासकर नासिक संभाग में अत्यधिक बारिश दर्ज की गई.

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