जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की मांग लेकर पश्चिम बंगाल में किसानों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध के दौरान किसानों ने अपनी उपज के साथ प्रदर्शन कर और सड़कों को जाम कर दिया इसके कारण यातायात बाधित हुआ जिससे लोगों को आवाजाही करने में परेशानी हुई. इतना ही नहीं जूट किसानों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान जून में गांठ में आग लगाकर प्रदर्शन किया. जूट किसानों का यह प्रदर्शन पश्चिम बंगाल के जूट उत्पादन बेल्ट में पड़ने वाले जिले नदिया, मुर्शिदाबाद, उत्तरी दिवाजपुर, उत्तर 24 परगना और हुगली जिले मे किया गया. इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार पर जूट किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया.
प्रदर्शन कर रहे जूट किसानों ने केंद्र सरकार पर जूट किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों को केंद्र की तरफ से जूट के लिए जो एमएसपी दी जाती है वह 5050 रुपये प्रति क्विटल है, जबकि प्रति क्विंटल जूट उत्पादन करने में और उसे जूट खरीद केंद्र तक ले जाने में एक जूट किसान को लगभग 8000 रुपये से अधकि की लागत आती है. ऐसे में किसान इतनी कम एमएसपी पर जूट बेचकर क्या करेंगे. उन्हें तो नुकसान ही हो रहा है. इसलिए उन्होंने मांग करते हुए कहा कि जूट की एमएसपी बढ़ाई जाए.
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गौरतलब है कि कई किसान संगठनों ने एमएसपी बढ़ाने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक शीर्ष मूल्य-सिफारिश प्राधिकरण, कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) से अपील की है. य पर इस मामले में केंद्र की तरफ से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है इसलिए किसान संगठन बड़े आंदोलन की योजना बना रहे हैं. इसके तहत आंदोलन को और मजबूत बनाने के लिए किसानों ने नदिया जिले के देबग्राम में एक सम्मेलन का आयोजन किया और पश्चिम बंग पाट चाशी संग्राम समिति का गठन किया. यह नवगठित समिति आगामी नौ अक्टूबर को भारतीय जूट निगम के कोलकाता कार्यालय के बाहर जूट की एमएसपी बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करेगी.
बताया जा रहा है कि जुट की खेती में आ रही अधिक उत्पादन लागत के कारण अब किसान इसकी खेती से दूर हो रहें है. यही वजह है कि जूट खेती का रकबा और उत्पादन में कमी आई है. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने बताया की इस साल पश्चिम बंगाल के जुट बेल्ट में एक लाख पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खेती हुई थी जबकि ये आंकड़ा पिछले साल 116000 हेक्टेयर था. पश्चिम बंगाल में जुट उत्पादन कि बात करें तो हर साल विश्व में जितना जूट उत्पादन होता है उसमे से 50 फीसदी पश्चिम बंगाल में होता है.
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पर इन सबके बावजूद पश्चिम बंगाल के जूट किसान काफी हद तक एमएसपी के लिए केंद्र पर निर्भर हैं. विरोध प्रदर्शन में शामिल नदिया जिले के किसान साबिर मंडल ने कहा की CACP ने एमएसपी की सिफारिश करते समय जमीनी हकीकत को ध्यान में ध्यान में नहीं रखा इसलिए यह परेशानी हो रही है. वहीं नवगठित पश्चिम बंग पाट चाशी संग्राम समिति के उपाध्यक्ष कमालुद्दीन सेख ने कहा की जुट उत्पादक कड़ी मेहनत करते है लेकिन हर साल उन्हें भरी नुकसान होता है. उत्पादन लागत को पूरा करने के लिए एमएसपी बहुत कम है, इसके अलावा किसान को भारतीय जूट निगम के खरीद केंद्र तक भी अपने जुट को पहुंचने के लिए किराया लगाना पड़ता है.