देश के कई राज्यों में इस समय जबरदस्त बारिश हो रही है. लेकिन, झारखंड में अभी तक सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है. सही समय और सही मात्रा में बारिश नहीं होने के चलते एक बार फिर राज्य में सूखे का खतरा मंडरा रहा है. किसान डरे हुए हैं, क्योंकि खेत में रोपाई के लिए धान का पौधा तैयार है पर खेत तैयार करने के लिए पानी नहीं है. जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था है वो किसी तरह सिंचाई करके अपने खेत तैयार कर रहे हैं और धान की रोपाई कर रहे हैं, लेकिन जिनके पास सिंचाई का साधन नहीं हो वो बारिश का इंतजार कर रहे हैं. सिंचाई करके धान की रोपाई करने के कारण खेती में उनकी लागत भी बढ़ रही है.
राज्य में औसत से हुई कम बारिश का सीधा असर धान की खेती पर पड़ रहा है. जुलाई महीने में राज्य के गोड्डा और साहिबगंज को छोड़कर सभी 22 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. जिसके कारण किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं. इस खरीफ सीजन में झारखंड में 18 हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. पर इसकी तुलना में आज तक मात्र तीन लाख हेक्टेयर में ही धान की खेती हो पाई है. इस तरह से मात्र 16 प्रतिशत क्षेत्र में ही धान की खेती हुई है. अगर जिलावार आंकड़े देखें तो सबसे कुछ ऐसे भी जिले हैं जहां पर अभी तक 10 हेक्टेयर में धान की खेती नहीं हुई है. इसमें सरायकेला (7.26 हेक्टेयर), जामताड़ा (6.31 हेक्टेयर), धनबाद (4.20), चतरा (7.72) और रामगढ़ में 9.58 हेक्टेयर में बारिश हुई है.
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इसके अलावा झारखंड के दूसरे जिलों की भी स्थिति सही नहीं है. पश्चिमी सिंहभूम में 178 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. यहां पर 144.46 हेक्टेयर जमीन में धान की खेती की गई है. वहीं धान की खेती में दूसरे नंबर पर गुमला जिला है. यहां पर 89.40 हेक्टेयर में धान की खेती की गई है. जिले में 239.5 हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा गया है. गुमला के बाद रांची में 50.52 हेक्टेयर में धान की रोपाई की गई है. यहां पर 206.0 हेक्टेयर जमीन में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. पश्चिमी सिंहभूम को छोड़कर किसी भी जिले में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 50 फीसदी में धान की खेती नहीं की गई है.
झारखंड विधानसभा में विधायक प्रदीप यादव ने ध्यानाकर्षण सूचना पर कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि राज्य में सुखाड़ को लेकर विभाग की तरफ से साप्ताहिक आकलन किया जा रहा है. सुखाड़ में निपटने के लिए स्थायी समाधान की कार्ययोजना तैयार की जा रही है. आकस्मिक निधि का प्रावधान किया जा रहा है. अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में विभाग की तरफ से केंद्र सरकार को सुखाड़ की रिपोर्ट भेजी जाएगी. प्रदीप यादव ने सदन में कहा था कि अभी तक राज्य में किसानों ने धान की रोपाई पूरी नहीं की है. लक्ष्य के मुकाबले अी तक मात्र 10 फीसदी की धान की रोपाई हो हो पाई है.
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मौसम विज्ञान केंद्र रांची की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में अभी कर 508.2 मिमी सामान्य बारिश होती है, लेकिन अभी तक मात्र 295.9 मिमी बारिश ही राज्य में हुई है. राज्य में 42 फीसदी कम बारिश हुई है. सबसे खराब स्थिति पाकुड़ जिले की है. यहां पर सामान्य से 72 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. राज्य से भी सभी जिलों में बारिश की स्थिति यही है. किसानों का कहना है कि धान की रोपाई का सही समय बीत चुका है. राज्य में जुलाई तक खेती करना ही सही माना जाता है. क्योंकि इससे अच्छी पैदावार होतो है. देर से रोपाई होने पर धान की पैदावार पर असर पड़ता है.