सरकारी दर पर धान की खरीद झारखंड में हमेशा विवादों में ही रहती है. हर बार इससे जुड़े कुछ ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसमें किसान के हिस्से में निराशा ही सामने आती है. इसके कारण किसान एमएसपी पर धान बेचने से भी कतराते हैं. क्योंकि हर बार की तरह इस बार भी झारखंड में ऐसे किसानों की संख्या 29 हजार से अधिक है जो अपनी मेहनत से उगाए गए धान को बेचने के बाद पैसे मिलने का इंतजार कर रहे हैं. पिछले खरीफ वर्ष की बात करें तो झारखंड में गंभीर सूखा पड़ा था, इसके कारण किसानों को खेती करने में काफी परेशानी हुई थी. पर इसके बावजूद किसानों ने धान उगाकर बेचा था,पर अभी तक पैसे का इंतजार कर रहे हैं. किसानों के समक्ष समस्या अब यह है कि मॉनसून की शुरुआत हो चुकी है.
अब धान की बुवाई करने का समय आ गया है. इस समय किसानों को धान की खेती करने के लिए, खेत तैयार करने से लेकर बीज खरीदने और खाद खरीदने के लिए पैसे की जरूरत होती है. पर किसानों को धान की बिक्री के बदले पैसे ही नहीं मिले हैं. राज्य के किसानों को सरकार की ओर से बकाया राशि 163 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिल पाया है. धान की खरीद के पांच महीने से अधिक का समय बीत चुका है पर किसानों के खाते में अभी तक पैसे नहीं मिले हैं.
पिछले साल बारिश की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने धान खरीद के लक्ष्य को कम करते हुए 38 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा था, पर इस बार मात्र 17.25 लाख क्विंटल धान की ही खरीद हो पाई थी. जो धान खरीद के निर्धारित लक्ष्य का 47.52 फीसदी है. राज्य में धान की खरीद के लिए 617 धान खरीद के केंद्र बनाए गए थे. कुल दो लाख उन्तीस हजार आठ सौ पंद्रह किसानों ने धान की बिक्री के लिए लैंपस में पंजीकरण कराया था पर एक लाख 68 हजार 713 किसानो को धान बेचने के लिए एसएमएस भेजा गया था. इनमें से 31 हजार 855 किसानों ने लैंपस पहुंचकर धान बेचा था.
किसानों द्वारा बेचे गए धान के बदले तीन अरब 53 करोड़ 63 लाख 76 हजार रुपये का भुगतान करना था, पर मिली जानकारी के अनुसार अब तक एक अरब 90 करोड़ 48 लाख रुपये की ही भुगतान किया गया है. धान बेचने वाले कुल किसानों में से 31 हजार 821 किसानों को पहली किस्त की राशि का भुगतान कर दिया गया था. जबकि दूसरी किस्त के तौर पर 2832 किसानों को 14 करोड़ 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया. वहीं राज्य में 34 ऐसे किसान भी हैं जिन्हें ना ही पहली किस्त मिली है और ना ही दूसरी किस्त का भुगतान किया गया है.
लातेहार और चतरा जिलों के लैंपस से ऐसी शिकायतें भी आई थी कि धान का उठाव होने के बाद भी किसानों को पैसे का भुगतान नहीं हुआ. किसान लैंपस तक धान बेचने के लिए पहुंच सके इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कई प्रकार के प्रयास किए गए थे. पैसो के भुगतान करने के नियमों में बदलाव किया गया था. पर इसके बावजूद अधिक संख्या में किसान धान बेचने के लिए नहीं. कई जिलों में एक भी किसान धान बेचने नहीं आया. किसानों की शिकायत रहती है कि लैंपस में धान बेचने पर उन्हें समय से पैसे नहीं मिलते हैं.