झारखंड के गांवों में हाथियों द्वारा फसल नुकसान की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही है.बड़ी संख्या में हाथी सब्जियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बोकारो जिले गोमिया प्रखंड के बाद अब रांची के बुंडू अनुमंडल से हाथियों के उत्पात की खबरें आ रही हैं. गांव में घुसे हाथियों ने 20 एकड़ के खेत में तैयार सब्जियों को भारी क्षति पहुंचाई है. हाथियों का झुंड ने बुंडू अनुमंडल अंतर्गत तमाड़ वनक्षेत्र के गांवों में प्रवेश किया, यह गांव जंगल के बेहद की अंदरूनी इलाके में पड़ते हैं. हाथियों ने इस क्षेत्र के उलिलोहर, लुपुंगडीह, कुर्कुटा, जिलिंगसेरेंग, डिम्बजर्जा और बमलाडीह सहित दर्जनों गांवों में उत्पात मचाया.
बताया जा रहा है कि इन गांवों में रात के वक्त 55 से 60 की संख्या में हाथियों ने गांव खेतों में प्रवेश किया और जमकर उत्पात मचाया है. ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण हाथियों से अपनी फसल को बचाने के लिए कुछ कर पाते इससे पहले ही हाथियो का झुंड पूरे गांव के चारों तरफ फैल गए. इसके कारण लोग डर गए और हाथी खेतों में चले गए. स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक हाथियों ने इन गांवों के करीब 20 एकड़ में लगी सब्जी की फसल को बर्बाद कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों ने इस दौरान खेतों में लगे आलू, मटर, सरसों, गोभी, टमाटर और बैंगन की सब्जियों को नुकसान पहुंचाया है.
हाथियों के उत्पात को देखकर ग्रामीण अपने घरों में ही दुबके रहे और अपनी और अपने परिजनों की जान बचायी. इलाके में हाथियों का आंतक कोई नयी बात नहीं है. गांव में हर दो तीन दिनों पर हाथियों का झुंड प्रवेश कर जाता है. इसके कारण फसलों को क्षति होती है. लेकिन, इस बार अधिक सब्जियों को हाथियों ने नुकसान पहुंचाया हैं. ग्रामीण बताते हैं कि झुंड में बेबी हाथी भी रहता है. इसके कारण उन्हें डर लगा रहता है कि हाथी कही अधिक अंक्रामक नहीं हो जाए. ग्रामीण यह भी बताते हैं कि एक बार किसी तरह हाथियों को खदेड़ कर भगा देते हैं. लेकिन, हाथी गांव के बाहर झाड़ियों में छिप जाते हैं और तुंरत वापस आ जाते हैं.
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विभाग द्वारा ग्रामीणों को ऐसे आपात स्थिति से निबटने लए बम औप पटाखा दिए गए हैं, जिसे जलाकर ग्रामी हाथियों को भगाने की कोशिश कर रहे थे. इससे पहले भी हाथी कई बार फसलों को नुकसान पहुंचा चुके हैं. लेकिन, उसके बदले में उन्हें आज तक फसल क्षतुपूपूर्ति मुआवजा हीं मिला है. यह गांव बेहद ही पिछड़ा इलाका में होने के कारण अधकारी भी गांव में आने से परहेज करते हैं, यह पूरी तरह नक्सल प्रभावित इलाका है.
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