झारखंड में भी बड़े पैमाने पर अब परवल की खेती की जाएगी, इसके लिए किसानों के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है. पठारी इलाकों में खेती करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूर्वी प्रक्षेत्र पलांडू ने परवल की तीन नई किस्में विकसित की हैं.
इन तीनों किस्मों के नाम हैं स्वर्ण अलौकिक, स्वर्ण सुरुचि और स्वर्णरेखा. यह तीनों किस्में झारखंड की मिट्टी में अधिक उपज देने वाली वैरायटी हैं. इस वैरायटी की खेती करने से किसानों को फायदा होगा.
इन तीनों किस्मों की पैदावार की बात करें तो परवल की ये किस्में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन का उपज देती हैं. इन तीनों किस्मों के बीज और फल दोनों ही खाने में मुलायम लगते हैं इसलिए लोग इन्हें पसंद करते हैं.
झारखंड में इसकी खेती करने के लिए सभी जिलों में किसानों के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है. किसानों का भी इसकी खेती के प्रति रुची बढ़ रही है.
इसकी खेती के लिए किसानों को सरकार द्वारा आर्थिक सब्सिडी भी दिया जा रहा है. साथ ही कृषि के लिए आधारभूत संरचना दी जा रही है. जिससे किसानों को परवल की खेती करने में कोई परेशानी न हो.
एक बार इसका पौधा तैयार होने के बाद पांच साल तक इससे फल लिया जा सकता है. इसके अलावा यह सस्ते दाम में कभी नहीं बिकता है इसलिए किसान इससे अच्छी कमाई भी कर सकते हैं.