देशभर में रबी फसलों की बुवाई का पीक टाइम चल रहा है. हरियाणा में पहले किसान डीएपी खाद के लिए लंबी लाइनों में दिखाई दिए, जिसपर सरकार ने दावा किया कि राज्य में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है. लेकिन राज्य का एक गांव ऐसा है, जहां किसान चाहकर भी खेती नहीं कर पा रहे हैं. गोरिया गांव में सितंबर में हुई भारी बारिश के बाद से ही खेतों में पानी भरा हुआ है. ऐसे में यहां के किसान फसल की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं. किसानों ने कहा कि खेतों में पानी भर जाने के कारण बाजरा और कपास की फसलें चौपट हो गई थीं. दो महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी खेत पानी से भरे पड़े हैं. ऐसे में कई किसान गेहूं की बुवाई को लेकर आशंकित हैं.
'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि अगर खेतों से पानी नहीं निकाला गया तो उन्हें दोहरा नुकसान झेलना पड़ेगा. पहला नुकसान तो उन्हें खरीफ फसल चौपट होने से हो ही चुका है. अब अगर रबी सीजन में बुवाई नहीं हुई तो दूसरा नुकसान उनका पूरा साल खराब कर देगा. खेतों में जलभराव की समस्या को लेकर गोरिया ग्राम पंचायत ने के किसानों ने सोमवार को जिला अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर नुकसान का आकलन करने और विशेष गिरदावरी करके फसल के नुकसान के लिए उचित मुआवजा देने की मांग की है.
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गांव के सरपंच अजीत सिंह ने कहा कि सितंबर में भारी बारिश के कारण उनके गांव में 300 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र के खेतों में पानी भरने से बाजरा और कपास की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई थीं. गांव के ज्यादातर किसानों ने फसलों का बीमा नहीं करवाया है. यही वजह है कि हम मुआवजे के लिए विशेष गिरदावरी की मांग कर रहे हैं.
सरपंच अजीत सिंह ने कहा कि प्रशासन की ओर से प्रभावित इलाके के बड़े हिस्से से पानी निकाल दिया गया है, लेकिन अभी भी एक हिस्से में पानी मौजूद है, जिसके कारण किसान गेहूं की बुवाई को लेकर चिंतित हैं.
हाल ही में जिले में आए डिप्टी कमिश्नर प्रदीप दहिया ने कहा कि खेतों में जलभराव का मामला आज ही उनकी जानकारी में आया है. संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द खेतों से पानी निकालने के लिए कहा गया है. इसके अलावा हम मुआवजे के लिए राज्य अधिकारियों को पत्र लिखेंगे.