केंद्र सरकार देश की खाद्य तेल मांग के अनुरूप घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. इसके लिए सरकार राष्ट्रीय मिशन चला रही है, जिसमें विभिन्न तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है. इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में पाम ऑयल की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की गई है. यह पहल किसानों की आय बढ़ाने और खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम मानी जा रही है. राज्य सरकार की ओर से जारी बयान में बताया गया कि यह पहल केंद्र सरकार की राष्ट्रीय मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स- ऑयल पाम योजना के तहत चलाई जा रही है. साथ ही यहां किसानों को सरकारी मदद भी दी जा रही है.
इसमें वर्ष 2025-26 तक जिले में 300 हेक्टेयर में ऑयल पाम रोपण का लक्ष्य तय किया गया है. अभियान की शुरुआत सूरजपुर जिले के भैयाथान विकासखंड के ग्राम सिरसी से की गई. यहां किसान आशीष गुप्ता की एक हेक्टेयर जमीन पर 143 पाम ऑयल के पौधों लगाए गए. इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष चंद्रमणी पैकरा, उपाध्यक्ष रेखा राजलाल राजवाड़े, स्थानीय जनप्रतिनिधि, किसान और अधिकारी मौजूद रहे.
इस मौके पर कलेक्टर एस. जयवर्धन ने कहा कि पारंपरिक फसलों की तुलना में पाम ऑयल की खेती किसानों को चार गुना ज्यादा मुनाफा दे सकती है. इसमें देखभाल और मेहनत की कम जरूरत होती है और साथ ही पौधों में बीमारी का खतरा भी कम रहता है. कलेक्टर ने कहा कि पाम ऑयल ट्री की खेती लंबे समय तक आय का स्थिर जरिया बन सकती है. यह अभियान भारत को खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.
किसानों को इस खेती के लिए केंद्र और राज्य सरकार से सब्सिडी भी मिलेगी. इसमें पौधरोपण सामग्री के लिए 29 हजार रुपये, फेंसिंग के लिए 54,485 रुपये और ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लिए 31,400 रुपये तक की सब्सिडी शामिल है. इसके अलावा बोर वेल और पंप प्रतिस्थापन पर भी मदद दी जाएगी.
इस योजना की एक खास बात यह है कि किसानों की सबसे बड़ी समस्या यानी मार्केटिंग का समाधान इसमें किया गया है. राज्य सरकार और प्री. यूनिक एशिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए एमओयू के तहत कंपनी किसानों से सीधे खेत से ही फसल खरीदेगी. इससे किसानों को बाजार में बिक्री की चिंता नहीं होगी.
पाम ऑयल की खेती में प्रति हेक्टेयर 143 पौधे 9×9 मीटर की त्रिकोणीय पद्धति से लगाए जाते हैं. पौधे चार वर्षों में फल देने लगते हैं और एक एकड़ में सालाना 10 से 12 टन तक उत्पादन हाेने की संभावना होती है. यह उत्पादन अगले 25-30 वर्षों तक स्थायी रूप से जारी रहता है.
वहीं, सरकार ने फलों की खरीद दर 17 रुपये प्रति किलोग्राम तय की है. यानी फल आने पर किसान को सालाना 10 टन उत्पादन भी मिलता है तो फसल बेचने पर प्रति एकड़ 1,70,000 रुपये की कमाई होगी. इसमें लागत निकालने पर किसान को बढ़िया मुनाफा होगा.