उत्तर प्रदेश में बुधवार को नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनाम समाजवादी पार्टी (SP) की जंग है. इसे लोकसभा चुनाव के बाद पहली चुनावी जंग माना जा रहा है. कांग्रेस जहां उपचुनाव नहीं लड़ रही है और अपने सहयोगी दल समाजवादी पार्टी का समर्थन कर रही है, वहीं बहुजन समाज पार्टी अपने दम पर सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी गाजियाबाद, कुंदरकी और मीरापुर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि चंद्रशेखर की पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सीसामऊ को छोड़कर सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
उपचुनाव में 90 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से हैं, जबकि सबसे कम उम्मीदवार खैर (एससी) और सीसामऊ विधानसभा क्षेत्रों से पांच-पांच हैं.
उपचुनाव के नतीजों का 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे अलग-अलग राजनीतिक दलों को संदेश जाएगा. उन्हें अपनी मजबूती का अंदाजा होगा. समाजवादी पार्टी जहां सदन में अपनी संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी और उसकी सहयोगी आरएलडी विधानसभा में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने की कोशिश करेगी.
फिलहाल विधानसभा में बीजेपी के 251 विधायक हैं, जबकि एसपी के 105 विधायक हैं. बीजेपी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के 13 विधायक हैं, आरएलडी के 8 विधायक हैं, एसबीएसपी के 6 विधायक हैं और निषाद पार्टी के 5 विधायक हैं. कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो-दो विधायक हैं, जबकि बीएसपी के एक विधायक हैं.
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लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में एनडीए के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी की यह पहली चुनावी परीक्षा होगी. मतदान से पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मंगलवार को मतदाताओं से अपनी पार्टी के लिए वोट करने की अपील की. एसपी के एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "मैं अपने सभी वोटर्स, खासकर युवा किसानों से मदद करने के लिए कहना चाहूंगा. प्रशासन चुनाव में सिर्फ रुकावट ही पैदा कर सकता है. मुझे उम्मीद है कि प्रशासन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को बचाने के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेगा."
यूपी बीजेपी के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा, "समाजवादी पार्टी उपचुनाव हारने से डर रही है. अखिलेश यादव हार के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराकर जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं." प्रवक्ता ने कहा, हार के डर से एसपी चुनाव आयोग से यह बचकानी मांग कर रही है कि पहचान पत्र की जांच न की जाए. जबकि पहले भी बुर्का पहनकर फर्जी मतदान करती महिलाएं पकड़ी जा चुकी हैं.
शुक्ला समाजवादी पार्टी की यूपी इकाई के अध्यक्ष श्याम लाल पाल द्वारा हाल ही में लिखे गए पत्र का हवाला दे रहे थे, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग से यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था कि "मतदान के दिन कोई भी पुलिसकर्मी मतदाता का पहचान पत्र न चेक करे." पाल ने रिटर्निंग अधिकारियों के लिए बुकलेट का हवाला देते हुए कहा कि मतदान के दिन मतदान अधिकारी द्वारा मतदाता का पहचान पत्र चेक किया जा सकता है.
आरएलडी प्रवक्ता अंकुर सक्सेना ने कहा कि उनकी पार्टी मीरापुर सीट बरकरार रखेगी, जबकि एनडीए उपचुनाव वाली सभी सीटों पर जीत दर्ज करके क्लीन स्वीप करेगी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष हिंदवी ने कहा, "प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में अपनी पसंद स्पष्ट कर दी है, जिसमें इंडिया गठबंधन को सबसे अधिक सीटें मिली हैं. उपचुनाव में भी यह गति जारी रहेगी."
व्यापारियों के संगठन भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने भी व्यापारियों से शत-प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने की अपील की है. भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष रविकांत गर्ग ने पीटीआई-भाषा से कहा, "हम पहले शत-प्रतिशत मतदान करके एक उदाहरण पेश करेंगे और फिर बाद के चुनावों में हम अपने प्रयास में शामिल होने के लिए अन्य संगठनों से बातचीत करेंगे."
20 नवंबर को अंबेडकर नगर के कटेहरी, मैनपुरी के करहल, मुजफ्फरनगर के मीरापुर, गाजियाबाद, मिर्जापुर के मझवां, कानपुर शहर के सीसामऊ, अलीगढ़ के खैर, प्रयागराज के फूलपुर और मुरादाबाद के कुंदरकी में उपचुनाव होंगे. 23 नवंबर को नतीजे आएंगे.
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इनमें से आठ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई थीं, जबकि सीसामऊ में मौजूदा समाजवादी पार्टी विधायक इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उपचुनाव हो रहा है.
2022 के विधानसभा चुनाव में सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था, जबकि बीजेपी ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर पर जीत हासिल की. मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने जीती थी, जो अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में बीजेपी की सहयोगी है.