सड़क पर मुर्गों से भरे ट्रक रोके जा रहे हैं. सर्दी के इस मौसम में खुले आसमान के नीचे ट्रक रोके जाने से मुर्गों के मरने का खतरा भी बना हुआ है. पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) ने इसे प्रशासन की मनमानी बताया है. हाईकोर्ट के आदेश का पालन ना करने का आरोप भी लगाया है. मुर्गों के ट्रक रोके जाने का ये मामला उत्तराखंड का है. PFI का आरोप है कि हाईकोर्ट के आदेश का पूरा पालन किए बिना मुर्गों की गाड़ी रोकना पोल्ट्री फार्मर के पेट पर लात मारने जैसा है.
इस संबंध में PFI ने केन्द्रीय डेयरी और पशुपालन मंत्री, सेक्रेटरी, सीएम उत्तराखंड को एक पत्र भी लिखा है. PFI ने मांग करते हुए कहा है कि पहले हाईकोर्ट के पूरे आदेश का पालन किया जाए, उसके बाद ही मुर्गो की गाड़ी रोकने की कार्रवाई की जाए. अगर उससे पहले गाड़ी रोकी जाती है और मुर्गे मरते हैं तो उसका मुआवजा राज्य सरकार को देना होगा.
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PFI के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा ने किसान तक को बताया कि हाईकोर्ट का आदेश था कि सड़क किनारे खुले में और गली-मोहल्ले में मुर्गे काटने की गतिविधियां रोकी जाएं. इससे गंदगी फैलती है. आने-जाने वाले लोगों को भी परेशानी होती है. साथ ही कोर्ट का ये भी आदेश था कि ये सब बंद कराने से पहले छोटे स्लॉटर हाउस बनाए जाएं, जहां मुर्गें काटने का काम हो सके. और इस कारोबार से जुड़े लोगों को भी नुकसान ना उठाना पड़े. लेकिन उत्तराखंड पुलिस-प्रशासन इसके उलट कदम उठा रहा है. पहले स्लॉटर हाउस तो खोले नहीं हैं, लेकिन मुर्गे काटने से रोकने की कार्रवाई शुरू कर दी है. इसी के चलते मुर्गों की सप्लाई रोकने के लिए सड़क पर मुर्गो की गाडि़या रोकी जा रही हैं.
PFI ने केन्द्रीय डेयरी और पशुपालन मंत्री राजीव रंजन, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और डेयरी सेक्रेटरी अलका उपाध्याय को पत्र लिखकर पोल्ट्री फार्मर का शोषण रोकने की अपील की है. साथ ही इससे जुड़ी मांग भी उठाई हैं.
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