भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है. बावजूद इसके पशुपालक को ठीक-ठाक मुनाफा ही नहीं होता है. इसके पीछे एक बड़ी वजह बताई जाती है प्रति पशु दूध उत्पादन का कम होना. लेकिन डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि यह कोई बड़ा काम नहीं है. जरूरत बस इतनी है कि पशुपालक साइंटीफिक तरीके से पशुपालन करें और नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के बताए सुझावों पर अमल करें. ऐसा करने से ना सिर्फ प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि पशुपालकों की इनकम भी डबल हो जाएगी.
इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) ने भी पशुपालकों की इनकम बढ़ाने के मकसद से कुछ टिप्स दिए हैं. वहीं उनका कहना है कि डेयरी सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं को सशक्त बनाया जाए तो इस सेक्टर की लागत को कम किया जा सकता है.
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दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम के दौरान सेमिनार के दौरान एनडीडीबी के डॉ. आर. ओ गुप्ता, वरिष्ठ महाप्रबंधक का कहना है कि फायदेमंद डेयरी के लिए किसानों को हाई जेनेटिक क्वालिटी वाले बैल का वीर्य प्रजनन के लिए अपनाना चाहिए. इतना ही नहीं पशुओं के लिए वैज्ञानिक आधार पर तय फीड-फोडर और देखभाल के तौर-तरीकों को अपनाना चाहिए.
डॉ. गुप्ता का कहना था कि इलाज से बेहतर रोकथाम है, इस बात का हर पशुपालक को पालन करना चाहिए. और सबसे बड़ी बात ये कि पशुओं का टीकाकरण वक्त से कराना चाहिए. इससे पशु का विकास भी होता है और उसकी उम्र भी बढ़ती है. वहीं समय से पशुओं को पेट के कीड़े वाली दवा खिलाने से बड़े नुकसान को टाला जा सकता है.
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डॉ. गुप्ता ने फायदेमंद डेयरी के लिए सबसे बड़े बिन्दु पर बात करते हुए बताया कि बछड़ा पालन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. क्योंकि सभी तरह के पशुपालन में पशु का बच्चा एक बड़ा मुनाफा होता है. इसलिए बछड़े की देखभाल बहुत जरूरी है. इसके साथ ही उन्होंने पशुपालन क्षेत्र में डिजिटलीकरण के फायदों पर भी चर्चा की. डिजिटलीकरण के तहत गाय पालन में काऊ बैल्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई. इसके बारे में बताया कि ऐसा करने से हम बहुत सारी बीमारियों के बारे में वक्त रहते पता चल जाता है. जिससे बीमारी पर होने वाला खर्च तो बचता ही है, साथ ही पशु भी परेशानी से दूर रहता है और उसके उत्पादन पर किसी भी तरह का कोई असर नहीं पड़ता है.