Animal Husbandry: ये हैं गाय के आम रोग और उनके घरेलू उपाय, जानें कैसे करें 

Animal Husbandry: ये हैं गाय के आम रोग और उनके घरेलू उपाय, जानें कैसे करें 

गाय को होने वाली आम बीमारियां पशुपालक की लागत को बढ़ा देती हैं. क्योंकि गाय की मामूली सी बीमारी का असर भी उसके दूध उत्पादन को प्रभावित करता है, लेकिन गाय चारा यानि अपनी खुराक उतनी ही खाती है.

पशुओं के लिए सही चारा अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 31, 2024,
  • Updated Mar 31, 2024, 11:22 AM IST

बड़ा दुधारू पशु गाय-भैंस की हो या छोटे पशु भेड़-बकरी की, छोटी-छोटी बीमारियों में बरती गई लापरवाही बड़ी परेशानी की वजह बन जाती है. कुछ बीमारी ऐसी होती हैं जिनका इलाज सिर्फ पशु डॉक्टर ही कर सकता है, लेकिन कुछ आम और छोटी-छोटी बीमारी ऐसी भी हैं कि जिनका इलाज घर पर भी किया जा सकता है. गायों में होने वाली कुछ ऐसी ही आम बीमारियों या कह लें कि उपायों के बारे में हम आपको इस खबर में बताने जा रहे हैं. आम बीमारियों के ये उपाय अगर रोजमर्रा की दिनचर्या में भी शामिल कर लिए तो गाय बहुत सारी बीमारियों से दूर रहेंगी.

और अच्छी बात ये भी है कि इन उपायों पर खर्चा भी ना के बराबर ही आता है. लेकिन इन आम बीमारियों की अनदेखी गंभीर बीमारी का रूप तो ले ही लेती है, साथ में पशु की शारीरिक विकास और दूध उत्पादन पर भी बड़ा असर डालती है. बीमारियों के इन उपायों को अलग-अलग वेटरनरी यूनिवर्सिटी ने अपनी बेवसाइट पर साझा किया है. 

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जूं और किलनी का होना

गाय के जूं और किलनी होने के दौरान नीम के पत्तों को पानी में उबालकर गाय के शरीर पर स्प्रे करें. या फिर एक कपड़े को नीम के पानी में डालकर कपड़े से पशु को धोना चाहिए. इस उपाय को कई दिन लगातार करने से गाय की जूं और किलनी की परेशानी दूर हो जाती है. 

निमोनिया

किसी भी पशु को निमोनिया बहुत परेशान करता है. डॉक्टरों की मानें तो पानी में बहुत ज्यादा देर तक भीगने की वजह से निमोनिया होता है. निमोनिया होने पर गाय का तापमान बढ़ जाता है, सांस लेने में दिक्कत होती है और उसकी नाक बहने लगती है. गाय में ये लक्षण दिखने पर उबलते पानी में तारपीन का तेल डालकर उसकी भांप पशु को सुंघानी चाहिए. इसके साथ ही पशु के पंजार में सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करनी चाहिए. गाय को सर्दी के मौसम में निमोनिया से बचाने के लिए उसके शेड में गर्मी करनी चाहिए.

जेर का ना निकलना

गाय के प्रसव के बाद जेर पांच घंटे में गिर जानी चाहिए. अगर ऐसा न हो तो गाय दूध भी नहीं देती. अगर ऐसा हो तो फौरन ही पशुओं के डॉक्टर से सलाह लेकर जेर से जुड़े उपाय अपनाने चाहिए. इसके साथ ही पशु के पिछले भाग को गर्म पानी से धोना चाहिए. और ख्याल रहे कि किसी भी हाल में जेर को ना तो हाथ लगाएं और ना ही जेर को खींचने की कोशिश करनी चाहिए.

चोट या घाव में कीड़े 

चोट या घाव में कीड़े पड़ने से कोई भी पशु बहुत ज्यादा परेशानी महसूस करता है. जब भी पशु के शरीर पर कोई भी चोट या घाव देखें तो फौरन ही उसकी गर्म पानी में फिनाइल या पोटाश डालकर सफाई करनी चाहिए. घाव में अगर कीड़े हों तो एक पट्टी को तारपीन के तेल में भिगोकर पशु के उस हिस्से पर बांध देनी चाहिए. मुंह के घावों को हमेशा फिटकरी के पानी से धोना चाहिए. लेकिन साथ ही साथ घाव से जुड़े उपाय जानने के लिए डॉक्टर से से संपर्क जरूर करना चाहिए.

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योनि का इंफेक्शन

योनि में इंफेक्श न तब बनता है जब बच्चा देने के बाद गाय की जेर आधी शरीर के अंदर और आधी बाहर लटक जाती है. ऐसा होनेपर गाय के शरीर का तापमान बढ़ जाता है और योनि मार्ग से बदबू आने लगती है. इसके साथ ही पशु की योनि से तरल पदार्थ रिसने लगता है. इस स्थिति में पशु चिकित्सक की निगरानी में गाय के उस हिस्सेस को गुनगुने पानी में डिटॉल और पोटाश मिलाकर साफ करना चाहिए. 

दस्त और मरोड़

गाय को दस्त और मरोड़ होने पर वो पतला गोबर करने लगती है. डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी पशु को इस तरह की परेशानी तब होती है जब पशु के पेट में ठंड लग जाए. अगर ऐसा होता है तो इस दौरान गाय को हल्का आहार देना चाहिए जैसे चावल का माड़, उबला हुआ दूध, बेल का गुदा आदि. वहीं साथ ही बछड़े या बछड़ी को दूध कम पिलाना चाहिए.

 

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