Dairy Milk: डेयरी मैनेजमेंट में कमी के चलते पशुओं को होता है थनेला रोग, जानें कैसे 

Dairy Milk: डेयरी मैनेजमेंट में कमी के चलते पशुओं को होता है थनेला रोग, जानें कैसे 

पशुओं को थनेला रोग दो तरह से हो सकता है. पशु के अंदरूनी संक्रमण से और बाहरी गंदगी से. पशु को बांधने वाली जगह, पशु के शरीर, दूध के बर्तन, मच्छर, मक्खी , गोबर और धूल-मिट्टी से भी पशु को थनेला बीमारी हो सकती है. इसीलिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि दूध दुहाने से पहले पशुओं के थनों को अच्छी  तरह से धो लेना चाहिए. 

गाय का दूधगाय का दूध
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 16, 2024,
  • Updated May 16, 2024, 1:35 PM IST

पूरा डेयरी सिस्टतम दूध के उत्पादन पर टिका होता है. अगर उत्पादन जरा सा भी गड़बड़ होता है तो नुकसान होना लाजमी है. कई बार छोटी-छोटी चीजों के चलते पशुओं का दूध कम होने लगता है. ऐसे कारणों में सबसे प्रमुख है थनेला रोग. हाल ही में गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना में हुए एक कार्यक्रम के दौरान भी डेयरी में होने वाले नुकसान के लिए सबसे बड़ी वजह थनेला रोग को माना गया है. डेयरी एक्सपर्ट का तो यहां तक कहना है कि कभी-कभी पशुपालकों को थनेला रोग से प्रभावित अपने पशुओं को बेचने और डेयरी को बंद करने के लिए भी मजबूर होना पड़ता है. 

एक्सपर्ट का कहना है कि इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह डेयरी मैनेजमेंट है. जब मैनेजमेंट के दौरान कुछ चीजों की अनदेखी की जाती है तो दूध देने वाला पशु थनेला रोग से पीड़ित हो जाता है. कार्यक्रम के दौरान एक्सपर्ट ने बताया कि पशु का दूध दुहाने से पहले और बाद में कुछ काम की बातों का याद रखना जरूरी है. 

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थनेला रोग पर क्या बोले डेयरी एक्सपर्ट 

डेयरी एक्सपर्ट डॉ. जसनीत सिंह ने थनेला बीमारी पर बोलते हुए कहा कि दूध दुहते समय पानी, बर्तन, सीरिंज और फर्श की गुणवत्ता को लेकर अलर्ट रहें. डेयरी में काम करने वाली लेबर के गंदा रहने और उनके कपड़े इस बीमारी को और बढ़ा देते हैं. खराब खान-पान, किसी भी प्रकार का तनाव कम भी पशुओं में थनेला से लड़ने की क्षमता को कमजोर करते हैं. उनका कहना है कि इस तरह की बीमारी में इंट्रा मैमरी इन्फ्यूजन की तुलना में पैरेंटल थेरेपी ज्यादा कारगर साबित होती है. अंतरा स्तन संक्रमण के दौरान पशुपालक क्या करें और क्या न करें इसके बारे में भी जानकारी दी गई. किसानों को दूध देने वाली मशीनों की उचित सफाई के संबंध में भी उचित सलाह दी गई. 

पशुओं को ऐसे हो सकता है थनेला रोग 

दूध निकालने से पहले थनों की सफाई ना करना. 

दूध निकालने वाले के कपड़े और हाथों के गंदा होने पर. 

दूध निकालने वाला अगर बीमार है. 

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जिस बर्तन में दूध निकाला जा रहा उसका साफ ना होना. 

गंदी जगह पर बैठकर पशु का दूध निकालना. 

गाय-भैंस के बच्चे को दूध पिलाने के बाद थनों को ना धोना. 

पशु के पेट, थन और पूंछ पर चिपकी गंदगी से. 

 

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