कंगायम गाय न केवल दूध देने की क्षमता रखती है. बल्कि यह सामान ढुलाई के काम भी आसानी से कर लेती है. गाय की यह देसी नस्ल प्रमुख रूप से तमिलनाडु में इरोड जिले के कंगायम और धारापुरम तालुकों और करूर जिले के करूर तालुक में पाई जाती है. इसके अलावा, तमिलनाडु के कोयंबटूर, इरोड, डिंडीगुल, करूर और नमक्कल आदि जिलों में भी पाई जाती है. कंगायम नस्ल के बैलों में काम करने की अच्छी क्षमता होती है और इनका उपयोग सभी कृषि कार्यों में किया जाता है. गन्ने का बोझ ढोने के लिए ज्यादातर कंगायम बैलों का उपयोग किया जाता है, हालांकि, क्षेत्र में अन्य भारवाहक नस्लें भी पाई जाती हैं. इस नस्ल का नाम इसके निवास स्थान तमिलनाडु राज्य के इरोड जिले के कंगायम तालुक से लिया गया है. वहीं यह नस्ल अम्बलाचेरी नस्ल से मिलती जुलती है. कंगायम नस्ल के गायों का वजन औसतन 380-400 किलोग्राम होता है, जबकि बैलों का वजन 500-500 किलोग्राम होता है. एनडीडीबी के अनुसार कंगायम नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 540 लीटर तक दूध देती हैं.
कंगायम नस्ल के मवेशियों का जन्म के समय रंग लाल होता है, लेकिन लगभग 6 महीने की उम्र में यह भूरे रंग में बदल जाता है. बैल भूरे रंग के होते हैं. गायें भूरे या सफेद और भूरे रंग की होती हैं. अधिकांश गायों का चेहरा गहरे भूरे रंग का होता है. ऐसे में आइए जानते हैं गाय की देसी नस्ल कंगायम गाय की पहचान, कीमत और विशेषताएं-
• सींग लंबे और मजबूत होते हैं, पीछे की ओर, बाहर की ओर और ऊपर की ओर घूमते हैं और फिर अंदर की ओर मुड़ते हैं और सिरे एक-दूसरे से मिलते हुए अर्धचंद्राकार आकार बनाते हैं.
• जन्म के समय रंग लाल होता है, लेकिन लगभग 6 महीने की उम्र में यह भूरे रंग में बदल जाता है.
• बैल भूरे रंग के होते हैं. गायें भूरे या सफेद और भूरे रंग की होती हैं. अधिकांश गायों का चेहरा गहरे भूरे रंग का होता है.
• कंगायम नस्ल के मवेशी मजबूत होते हैं.
• गायों की ऊंचाई औसतन 125 सेमी और बैलों की ऊंचाई औसतन 140 सेमी होता है.
• गायों के शरीर की लंबाई औसतन 130 सेमी और बैलों के शरीर की लंबाई औसतन 144 सेमी होता है.
• कंगायम नस्ल के गायों का वजन औसतन 380-400 किलोग्राम होता है, जबकि बैलों का वजन 500-500 किलोग्राम होता है.
• जन्म के समय गाय और बैल, दोनों का वजन औसतन 21 किलोग्राम होता है.
• तीन से साढ़े तीन साल में पहला ब्यान्त होता है.
• एक ब्यान्त में औसतन दूध देने की क्षमता 540 लीटर होता है.
• प्रतिदिन दूध देने की क्षमता 1 से 3 लीटर होती है.
• दूध में फैट यानी वसा औसतन 3.9 प्रतिशत, न्यूनतम 1.6 प्रतिशत और अधिकतम 7.7 प्रतिशत पाया जाता है.
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कोयंबटूर, इरोड, डिंडीगुल, करूर और नमक्कल आदि क्षेत्र में पाई जाने वाली अन्य नस्लों जैसे हल्लीकर और आलमबाड़ी की तुलना में इस नस्ल के बैलों को गन्ने के परिवहन के लिए ज्यादा पसंद किया जाता है. इन बैलों की परिवहन क्षमता इस क्षेत्र में और चीनी मिलों के आसपास के मालिकों की आय का मुख्य स्रोत है.
किसी भी गाय की कीमत आमतौर पर उम्र, नस्ल, स्थान और दूध उत्पादन क्षमता के आधार पर तय किया जाता है. वहीं कंगायम गाय न केवल दूध देने की क्षमता रखती है, बल्कि यह सामान ढुलाई के काम भी आसानी से कर लेती है. इस गाय की भारतीय बाजारों में कीमत 30 से 70 हजार रुपये तक है.
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