रेनबो ट्राउट और ठंडे पानी के मछली पालन को लेकर सरकार समीक्षा कर रही है. कहां-कहां रेनबो ट्राउट पालन की ज्यादा संभावनाएं हैं. इसी के चलते डॉ. अभिलक्ष लिखी, सचिव (मत्स्य पालन), मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और उनकी टीम ने तमिलनाडु का दौरा किया. यहां नीलगिरी जिले में रेनबो ट्राउट और ठंडे पानी के मछली पालन की समीक्षा की. इतना ही नहीं एवलांच नदी में ट्राउट हैचरी और फिश फार्म का दौरा किया. इस क्षेत्र में विकास के अवसरों का पता लगाने के लिए ये समीक्षा की जा रही है.
इस मौके पर राज्य सरकार के अफसर भी मौजूद थे. जानकारों की मानें तो हिमालय से लगे राज्यों में रेनबो ट्राउट पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. हिमालय और जम्मू-कश्मीर में रेनबो ट्राउट का खूब पालन किया जा रहा है. इसी के चलते नॉर्थ-ईस्ट समेत दूसरे राज्यों में रेनबो ट्राउट पालन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से लगातार कोशिश की जा रही हैं.
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सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने नीलगिरी में रेनबो ट्राउट का उत्पादन बढ़ाने के बारे में बोलते हुए कहा कि इसके लिए जरूरी ये है कि बेहतर एंड-टू-एंड मूल्य श्रृंखला लिंकेज, बाजार पहुंच को मजबूत बनाने, स्वदेशी ब्रूड का इस्तेमाल और तकनीकी मदद की जरूरत है. वहीं उन्होंने राज्यों को निर्देश देते हुए कहा कि वे इसे अपनी वार्षिक कार्ययोजना में शामिल करें, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास और दूसरी जरूरी तकनीकी मदद के लिए जरूरत के मुताबिक आवंटन सुनिश्चित हो सके. इसका मकसद ठंडे पानी के मछली पालन को स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका और रोजगार के अवसरों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में स्थापित करना है. इस मौके पर डॉ. लिखी ने एवलांच नदी में मछली के बीज की खेती को देखा, स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों में सुधार करने की बात कहते हुए लाभार्थियों के साथ बातचीत भी की.
इस मौके पर सागर मेहरा, संयुक्त सचिव ने देश में ठंडे पानी के मछली पालन की क्षमता, चुनौतियों और अवसरों के बारे में डिटेल में बातचीत की. दूसरी ओर कार्यक्रम के दौरान निजी कारोबारियों ने इंटरनेशनल बाजार में बढ़ती डिमांड को देखते हुए ट्राउट की महत्वपूर्ण निर्यात क्षमता पर जोर दिया. वहीं राज्य प्रतिनिधियों ने एक्सपोर्ट के अवसरों को स्वीकार करते हुए ठंडे पानी की मत्स्य पालन को विकसित करने में आने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित किया. आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग सहित रेनबो ट्राउट के लिए चल रही विभिन्न अनुसंधान और विकास गतिविधियों को पेश किया.
इस मौके पर एडीजी डॉ. जे. के. जैना, एनएफडीबी के वरिष्ठ अधिकारियों समेत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों के मत्स्य पालन विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
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