Bio Security: इस मौसम में खासतौर पर जरूरी है बायो सिक्योरिटी, गाय-भैंस नहीं होंगी बीमार, जानें कैसे 

Bio Security: इस मौसम में खासतौर पर जरूरी है बायो सिक्योरिटी, गाय-भैंस नहीं होंगी बीमार, जानें कैसे 

जूनोटिक डिजीज से इंसान और पशु दोनों ही प्रभावित होते हैं. इसीलिए पशुपालन मंत्रालय की ओर से समय-समय पर आम जनता समेत पशुपालकों से भी बायो सिक्योरिटी के उपाय अपनाने की अपील की जाती रहती है. दोनों ही लोगों के लिए कुछ जरूरी टिप्स भी जारी किए जाते हैं. इसका सीधा मकसद पशु और इंसानों दोनों को ही हर छोटी-बड़ी बीमारी से बचाना है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 03, 2025,
  • Updated Mar 03, 2025, 10:36 AM IST

मार्च की शुरुआत वो वक्त होता है जब माइग्रेट बर्ड अपने देशों को लौट रही होती हैं. देश के कई हिस्सों में माइग्रेट बर्ड चार-पांच महीने पहले से डेरा डाल देती हैं. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो माइग्रेट बर्ड से पशुओं के जूनोटिक डिजीज की चपेट में आने की संभावना ज्यादा हो जाती है. यही वजह है कि एक्सपर्ट मार्च की शुरुआत से ही डेयरी और एनीमल फार्म पर बायो सिक्योरिटी का पूरी तरह से पालन करने की सलाह देते हैं. एक्सपर्ट का दावा है कि जिस फार्म पर मार्च ही नहीं पूरे साल बायो सिक्योरिटी के उपाय अपनाए जाते हैं तो वहां जूनोटिक तो क्या छोटी से छोटी बीमारी भी नहीं होती है. 

पशुपालन मंत्रालय की ओर से चलाए जाने वाले नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) के तहत भी बायो सिक्योरिटी का पालन करने की सलाह दी जाती है. बायो सिक्योरिटी पर इसलिए भी जोर दिया जाता है कि पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों को जूनोटिक डिजीज कहा जाता है. मिशन से जुड़े एक्सपर्ट की मानें तो NOHM से सिर्फ पशुओं को ही नहीं हयूमन हैल्थ यानि इंसानों को भी जोड़ा गया है. 

बायो सिक्योरिटी अपनाने को दिए जाते हैं ये टिप्स  

पशुपालन मंत्रालय से जुड़े जानकारों की मानें तो वन हैल्थ मिशन के तहत एनीमल फार्म पर बॉयो सिक्योरिटी बहुत जरूरी है. कोरोना, लंपी, इबोला बर्ड फ्लू जैसी बीमारी फैलने के बाद से तो इसकी जरूरत और ज्यादा महसूस की जाने लगी है.  

  • सबसे पहले अपने एनीमल फार्म की बाड़बंदी कराएं. 
  • बाड़बंदी होने से सड़क पर घूमने वाला जानवर फार्म में नहीं घुसेगा. 
  • फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव कराएं. 
  • हैंड सेनेटाइज में काम आने वाली दवा फार्म पर रखें.
  • फार्म में बाहर से आने वाले व्यक्ति के जूते बाहर ही उतरवाएं.
  • जूते फार्म के बाहर उतरवा नहीं सकते तो उन्हें सेनेटाइज करें. 
  • आने वाले के हाथ और कपड़ों को भी सेनेटाइज करवाएं. 
  • पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं. 
  • फार्म पर नए आने वाले पशु को कम से कम 15 दिन अलग रखें. 
  • छोटे बच्चे, बीमार, गर्भवती, हेल्दी और दूध देने वाले पशुओं को अलग रखें. 
  • बदलते मौसम के हिसाब से बाड़े में पशुओं का रखरखाव रखें. 
  • पशुओं को खासतौर पर मच्छर-मक्खियों के प्रकोप से बचाएं.

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