बिहार के गया जिले के सबलपुर गांव में आज महिलाएं गाय पालन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. जो महिलाएं घर पर बैठी रहती हैं, आज वे हजारों रुपये कमाई कर रही हैं. गांव की महिलाएं घर के बाहर पशु शेड बनाकर गाय पालन कर रही है. वहीं गाय का चारा खिलाने, दूध निकालने, दूध को समिति तक पहुंचाने तक का सारा काम खुद महिलाएं संभाल रही हैं. शुरुआत में एक महिला ने गाय पालन से शुरुआत की थी. जब उनकी कमाई बढ़ने लगी तो धीरे-धीरे सबलपुर गांव की कई महिलाएं इस काम में लग गईं. आज स्थिति ये है कि यहां की अधिकांश महिलाएं गाय पालन कर हजारों रुपये कमा रही हैं. इन महिलाओं ने गाय पालन के व्यवसाय से खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ अपना जीवन भी बदल लिया है.
कम समय में अच्छी कमाई के बाद इन महिला किसानों के घर की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है. आज महिलाएं अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रही हैं. इसे देख आस-पास के गांव की महिलाएं भी प्रेरित हो रही हैं. महिलाएं खुद मशीन से दूध निकालकर समिति में बेचती हैं. इसके लिए गांव में समूह के द्वारा एक दुग्ध समिति बनाई गई है, जहां दूध का फैट जांच कर उसके आधार पर पैसा मिलता है. दुग्ध समिति में जमा दूध को किसी डेयरी में बेचा जाता है. इस तरह गांव की महिलाएं अलग-अलग गाय पालन कर समूह में दूध बेच रही हैं.
गांव में गाय पालन करने वाली महिला प्रियंका कुमारी ने बताया कि गांव की सभी महिलाएं गाय पालन करती हैं और गाय का दूध निकाल कर बेचती हैं. उन्होंने बताया कि वे गाय का दूध मशीन से निकालती हैं और जब बिजली नहीं रहती है तो हाथ से भी दूध निकालती हैं. इस गांव में गाय पालन दर्जनों महिलाएं कर रही हैं और गाय का दूध समिति में बेचती हैं. इसके बाद समिति के सचिव दूध को इकट्ठा कर गया ले जाते हैं. वहां दूध की बिक्री अच्छे दाम पर हो जाती है.
प्रियंका कुमारी ने बताया कि गाय पालन के पहले गांव की महिलाएं घर में ही रहती थीं और घर का काम किया करती थीं. अब इन महिलाओं को गाय पालन से अच्छा मुनाफा हो रहा है. प्रियंका के पास पहले तीन गाय थी जिससे 35 हजार रुपये की कमाई होती थी. वहीं अब उनको चार गाय रखने पर 40 से 45 हजार रुपये की कमाई हो रही है. इसमें 15 हजार रुपये गाय को खिलाने-पिलाने पर खर्च होता है, बाकी के रुपये बचते हैं.
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वहीं गांव की बेबी देवी ने बताया कि वे गाय पालन करती हैं. दूध बेचती भी हैं और घर में लोग खाते भी हैं. उन्होंने बताया कि पशुपालन में बहुत फ़ायदा है. गाय के गोबर से जैविक खाद बनती है जिसे खेतों में उपयोग किया जाता है. बेबी देवी ने बताया कि गाय पालन के पहले वे खेती-बाड़ी का काम किया करती थीं. फिर उन्होंने गाय पालन शुरू किया जिससे काफी फायदा हुआ और घर का खर्च आराम से निकलने लगा है. पहले खेती से अच्छी स्थिति नहीं थी. मगर गाय पालन के बाद स्थिति बहुत बेहतर हो गई है.
गांव में दूध इकट्ठा करने वाले समिति के सचिव कुंदन प्रसाद ने बताया कि वे महिलाओं से दूध इकट्ठा करते हैं और डेयरी में देते हैं. पहले इस गांव के लोग दूध अपने घर में उपयोग करते थे. मगर अब दूध को डेयरी में भेजते हैं. उन्होंने बताया कि गांव के लोगों ने मिलकर गांव में एक संगठन बनाया. उसके बाद दूध इकट्ठा कर गया शहर ले जाने लगे.
बसाढ़ी पंचायत के उपमुखिया मनोरंजन कुमार ने बताया कि सबलपुर गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के लिए गांव में ही गाय पालन करती हैं. इस गांव की काफी महिलाएं गाय पालन में सक्रिय हैं और गांव की दर्जनों महिलाएं हैं जो दूसरे गांव में जाकर भी गाय पालन के बारे में बताती हैं. इस गांव की महिलाएं पहले घर का कामकाज करती थीं और कुछ महिलाएं खेती का काम किया करती थीं. मगर गाय पालन से इस गांव की स्थिति बहुत सुधर गई है. सरकार गाय पालन के लिए शेड देने की योजना बना रही है.
गांव की कुछ महिलाओं को गाय पालन के लिए शेड भी मिला है. वहीं कई महिलाएं गाय के गोबर से जैविक खाद भी बना रही हैं और अपने खेतों में इस्तेमाल कर रही हैं. गाय पालन कर यहां की महिलाएं अपने बच्चो को अच्छे स्कूल में पढ़ा रही हैं. अब इनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक हो गई है. (रिपोर्ट- पंकज कुमार)