मुर्गी देसी हो या फार्म की, हर किसी के बारे में एक खास बात जुड़ी हुई है कि वो रोजाना अंडा नहीं देती हैं. हर एक नस्ल की मुर्गी की अंडा देने की अपनी अलग क्षमता है. कोई सालभर में 150 अंडे देती है तो कोई 180 और 200 अंडे. कुछ ऐसी भी नस्ल हैं जो एक साल में सिर्फ 60 से 70 अंडे तक ही देती हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक कोई दवाई और इंजेक्शन ऐसा नहीं है जिसका इस्तेमाल करने के बाद मुर्गियों से रोजाना अंडा लिया जा सके.
हालांकि रोजाना अंडा तो वो खास नस्ल भी नहीं देती है जो देशभर में सबसे ज्यादा अंडे देने के लिए जानी जाती है. इस खबर में हम जिस मुर्गी की बात कर रहे हैं उसे कृषि लेयर बर्ड कहा जाता है. आज देश में पोल्ट्री सेक्टर में सबसे ज्यादा इसी खास नस्ल की मुर्गी का पालन किया जाता है.
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लेअर बर्ड के अलावा और अंडे देने वाली जो मुर्गियों की नस्ल हैं उन्हें देसी मुर्गी भी कहा जाता है. देसी मुर्गियों की आठ ऐसी नस्ल हैं जो अंडे देती हैं. जैसे वनश्री एक साल में 180 से 190 तक अंडे देती है. इसके अलावा ग्रामप्रिया 160 से 180, निकोबरी 160 से 180, कड़कनाथ 150 से 170, सरहिंदी 140 से 150, घागुस 100 से 115, वनराजा 100 से 110 अंडे देती है. असील मुर्गियों की एक ऐसी नस्ल है जो सालभर में सिर्फ 60 से 70 अंडे देती है.
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