भ‍ीलवाड़ा में पशुओं को पानी पिलाने के दौरान हादसा, दो बच्‍चों और महिला की तालाब में डूबने से मौत

भ‍ीलवाड़ा में पशुओं को पानी पिलाने के दौरान हादसा, दो बच्‍चों और महिला की तालाब में डूबने से मौत

भीलवाड़ा जिले के बागजणा गांव में धर्म तालाब में पशुओं को पानी पिलाने के दौरान 13 वर्षीय सुनील नाथ डूब गया, उसे बचाने गई 40 वर्षीय लक्ष्मी देवी और उसका 12 वर्षीय बेटा प्रवीण नाथ भी डूब गए. तीनों की मौके पर मौत हो गई.

Bhilwara Drowning IncidentBhilwara Drowning Incident
प्रमोद तिवारी
  • Bhilwara,
  • Sep 18, 2025,
  • Updated Sep 18, 2025, 3:34 PM IST

राजस्‍थान में पशुओं को पानी पिलाने के दौरान हुए एक हादसे ने मह‍िला और दो बच्‍चों की जिंदगी लील ली. घटना के बाद पर‍िवार और गांव में मातम पसर गया है. राज्‍य के भीलवाड़ा जिले के करेड़ा थाना क्षेत्र के बागजणा गांव में धर्म तालाब में पशुओं को पानी पिलाते समय मां-बेटे और चचेरे भाई की डूबने से मौत हो गई. भतीजे को बचाने के लिए मां और बेटे ने भी तालाब में छलांग लगाई, लेकिन तीनों की दर्दनाक मौत हो गईं. इस हादसे से पूरे गांव में मातम छा गया.

भतीजे को डूबता देख चाची ने लगाई छलांग

इस दर्दनाक घटना को लेकर करेड़ा थाना प्रभारी पूरणमल मीणा ने बताया कि थाना क्षेत्र के बागजणा गांव बुधवार शाम धर्म तालाब में पशुओं को पानी पिला रहे थे. इसी दौरान 13 वर्षीय भतीजा सुनील नाथ पशुओं को पानी पिलाने के बाद उन्‍हें तालाब से बाहर निकालते समय पानी में डूब गया. वहीं, पास ही मौजूद 40 वर्षीय लक्ष्मी देवी और लक्ष्मी देवी का 12 वर्षीय बेटा प्रवीण नाथ डूब रहे सुनील को बचाने के लिए पानी में उतरे, लेकिन तीनों की पानी में डूबने से मौत हो गई.

चरवाहों ने गांव के लोगों को दी जानकारी

चरवाहों के मुताबिक, पानी पी रहे पशुओं को बाहर निकलते समय दोनों बच्चे गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे. बच्चों को बचाने के लिए लक्ष्मी देवी ने भी हिम्मत दिखाते हुए छलांग लगाई, लेकिन वह भी पानी की गहराई में समा गई. चरवाहों ने घटना की जानकारी तुरंत ग्रामीणों को दी तो बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे और तीनों को तालाब से बाहर निकाला और सभी को करेड़ा चिकित्सालय ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

अस्‍पताल में डॉक्‍टर नहीं मिलने का आरोप

वहीं, ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि हादसे के समय जब वे घायलों को लेकर करेड़ा चिकित्सालय पहुंचे तो वहां डॉक्टर मौके पर मौजूद नहीं थे. फोन करने पर भी डॉक्‍टर देर से पहुंचे. इस लापरवाही पर करेड़ा उप प्रधान सुखलाल गुर्जर ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम यहां पर जब उनको लेकर आए, तब चिकित्सक नहीं होने से उनकी मौत हो गई. हमारी यही मांग है कि अस्पताल में हर वक्‍त डॉक्‍टर उपलब्ध हो, जिससे कि हादसे के समय जरूरतमंद को जल्द उपचार मिल सके. वहीं, राज्य आपदा राहत कोष से मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने की भी घोषणा की गई.

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