decline in rain and snowfallहिमाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में भीषण शीतलहर की स्थिति देखी जा रही है, क्योंकि तेज गति वाली बर्फीली हवाएं चल रही हैं. साथ ही शिमला के पास कुफरी के प्रमुख पर्यटन स्थल पर बर्फ के निशान भी मिले हैं. इससे लगता है कि ठंड के बीच हल्की बर्फबारी भी शुरू हो चुकी है जो आगे चलकर बढ़ सकती है. यह साल की पहली बर्फबारी है. स्थानीय मौसम विज्ञान केंद्र ने मंगलवार को मध्य और ऊंची पहाड़ियों में अलग-अलग स्थानों पर बारिश या बर्फबारी की भविष्यवाणी की थी, लेकिन राज्य भर में मौसम मुख्य रूप से शुष्क रहा है.
न्यूनतम तापमान में कुछ डिग्री की गिरावट देखी जा रही है और कुसुमसेरी, सुमदो, कल्पा और नारकंडा में न्यूनतम तापमान क्रमशः शून्य से 8.6 डिग्री सेल्सियस नीचे, शून्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस नीचे, शून्य से 3.2 डिग्री सेल्सियस नीचे और शून्य से 2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है. कुफरी का न्यूनतम तापमान शून्य से 0.4 डिग्री सेल्सियस नीचे और अधिकतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.
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उच्च ऊंचाई वाले जनजातीय क्षेत्र और पहाड़ी दर्रे बर्फीली ठंड से परेशान हैं क्योंकि पारा फ्रीजिंग पॉइंट से 12 से 18 डिग्री सेल्सियस नीचे बना हुआ है. बीते दिन कई स्थानों पर रात का तापमान फ्रीजिंग पॉइंट के आसपास रहा और रिकांग पियो में तापमान शून्य से 0.6 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. इसके बाद सेओबाग में 0.8 डिग्री सेल्सियस, भुंतर में 0.8 डिग्री सेल्सियस, सुंदरनगर में 0.9 डिग्री सेल्सियस, सोलन और मंडी में 1.1 डिग्री सेल्सियस और शिमला में 2.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
मौसम विभाग ने 15 जनवरी तक अगले छह दिनों में राज्य में शुष्क मौसम की भविष्यवाणी की है और मंडी, बिलासपुर, ऊना, कांगड़ा, सिरमौर (पांवटा साहिब और धौला कुआं) जिलों में अलग-अलग हिस्सों में घना कोहरा छाने की चेतावनी दी है. सुबह के समय सोलन (बद्दी और नालागढ़) में भी घने कोहरे की चेतावनी दी गई है. अधिकतम तापमान में भी मामूली गिरावट देखी जा रही है लेकिन यह सामान्य के करीब है. किसान काफी चिंतित हैं क्योंकि लगातार सूखे के कारण वर्षा आधारित क्षेत्रों में पहले से ही बोई गई रबी फसलों को नुकसान हो सकता है.
दूसरी ओर उत्तराखंड में भी यही स्थिति देखी जा रही है. एक नए शोध से पता चला है कि उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में 1981 से शुरू होने वाली 40 साल की अवधि में बारिश में भारी कमी और तापमान पैटर्न में भी बदलाव दर्ज किया गया है. इसकी वजह से तराई क्षेत्र में फसल उत्पादन पर खराब प्रभाव पड़ सकता है. उत्तराखंड में जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से पता चला कि क्षेत्र में न्यूनतम तापमान में बड़ी वृद्धि हुई है, जबकि अधिकतम तापमान में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. पिछले सप्ताह भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के "मौसम जर्नल" में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इस बदलाव के कारण फसलें समय से पहले पकने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे फसल की पैदावार कम हो सकती है.
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