देशभर में कई इलाकों में बारिश का दौर जारी है. ज्यादातर इलाकों में चल रहा ये दौर मॉनसून पूर्व बारिश यानी प्री मॉनसून रेन है. लेकिन, लगातार बन रहे हालातों को देखें तो बहुप्रतीक्षित मॉनसून भारतीय मेन लैंड पर अब कभी भी दस्तक दे सकता है. यूं तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सभी द्वीपों पर मॉनसून अपने पैर पसार चुका है और दक्षिणी बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़कर मध्य बे ऑफ बंगाल में मॉनसून का सिस्टम 19 मई को ही पहुंच चुका है, इसमें कई इलाके वो भी हैं जहां आम तौर पर 1 जून तक सिस्टम आता है.
केरल से ही दक्षिण पश्चिम मॉनसून भारत के मुख्य थल सीमा में प्रवेश करता है. आम तौर पर 30 मई को सुदूर दक्षिण से मालदीव और श्रीलंका होता हुआ मॉनसून की बारिश केरल के तटीय क्षेत्रों में पहुंचती है. इस बार मौसम विभाग ने अपने शुरुआती पूर्वानुमान में 27 मई तक मॉनसून की केरल एंट्री की संभावना जताई थी. लेकिन, एक बार फिर इस मामले में भारतीय मौसम विभाग गलत साबित हो सकता है.
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फिलहाल, अरब सागर में एक कम दवाब का क्षेत्र बना हुआ जो अगले एक दो दिनों में चक्रवातीय सिस्टम का रूप ले सकता है. इसी सिस्टम के सहारे मॉनसून के केरल में दाखिल होने की मजबूत संभावना है. अगर, सिस्टम से जुड़े सभी कारक बने रहे तो 22 मई से लेकर 24 मई के बीच यानी इसी हफ्ते केरल में मॉनसून की मजबूत एंट्री हो जाएगी. अगर ऐसा होता है तो केरल में लगभग एक हफ्ते पहले ही मॉनसून आ जाएगा.
सिर्फ केरल ही नहीं मॉनसून की तेज रफ्तार देश के बाकी इलाकों के लिए भी अच्छी खबर है. पूर्वी छोर से भी बंगाल की खाड़ी के जरिए उत्तरपूर्वी भारत के राज्यों और बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में भी मॉनसून जल्दी आ सकता है. देश के बाकी इलाकों जैसे उत्तरी भारत में मॉनसून कब इंटर करेगा इसके बारे में अभी पूर्वानुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है.
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इसकी वजह यह है कि मॉनसून कई सारे फैक्टर की वजह से आगे बढ़ता है जो समय-समय पर बदलते रहते हैं. लेकिन, भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान की बात करें तो इस बार सामान्य से पांच प्रतिशत से ज्यादा मॉनसून की बारिश देश भर में होने का अनुमान है.
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