पंजाब में खेतों में आग लगाने की घटनाएं हर दिन नई संख्या के साथ बढ़ जाती हैं. पराली जलाने की रोकथाम के लिए पंजाब सरकार ने कई निगरानी टीमों को लगा रखा है. निरीक्षण के दौरान इस सीजन में पराली जलाने के आरोपी पाए गए 3846 किसानों पर 1.30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जबकि, 4097 किसानों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है. इसके अलावा कई हजार किसानों के नाम रेड एंट्री में दर्ज किए गए हैं.
पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों से पता चला है कि बीते दिन सोमवार 18 नवंबर को पंजाब में खेतों में आग लगने की 1251 नई घटनाएं सामने आई हैं, जो इस सीजन में एक दिन में सबसे ज्यादा हैं. इसके साथ ही राज्य में पराली जलाने के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 9,655 पहुंच गई है. आंकड़ों से पता चला है कि सोमवार को मुक्तसर जिले में 247 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं, जो राज्य में सबसे ज्यादा हैं. इसके बाद मोगा (149), फिरोजपुर (130), बठिंडा (129), फाजिल्का (94) और फरीदकोट (88) का नंबर आता है.
15 सितंबर से 18 नवंबर तक पंजाब में पराली जलाने की 9655 घटनाएं हुई हैं, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 71 फीसदी कम हैं. पंजाब में साल 2022 में इसी अवधि के दौरान 48,489 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए थे. जबकि, 2023 में 33,719 खेत में आग लगने की घटनाएं हुई थीं.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के आंकड़ों में कहा गया है कि 13 नवंबर तक राज्य ने पराली जलाने के 3846 मामलों में आरोपी किसानों पर 1.30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इसमें से किसानों से 97.47 लाख रुपये वसूल किए गए हैं. बाकी रकम भी किसानों से वसूली जा रही है. आंकड़ों के अनुसार 4097 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई हैं और दोषी किसानों के भूमि रिकॉर्ड में 3842 रेड एंट्री दर्ज की गई हैं. बता दें कि रेड एंट्री में रिकॉर्ड दर्ज होने पर कई सरकारी योजनाओं, सब्सिडी समेत कई सरकारी फायदे किसानों को नहीं मिलते हैं.
पराली जलाने के लिए मामलों की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने इसी महीने के पहले सप्ताह में नियमों को और सख्त किया है. इसके तहत जुर्माना राशि को बढ़ाया गया है. दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों के लिए 5000 रुपये जुर्माना राशि तय की गई है. जबकि, 2 से 5 एकड़ वाले किसानों को 10,000 रुपये और 5 एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को पराली जलाने पर 30,000 रुपये का जुर्माना तय किया गया है.
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि अक्टूबर-नवंबर में धान की कटाई के बाद रबी फसल गेहूं बुवाई के लिए किसानों के पास समय बहुत कम होता है. इसलिए कुछ किसान नई फसल की बुवाई के लिए धान की पराली या फसल अवशेषों को जल्दी साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं. हालांकि, सरकार की ओर से पराली प्रबंधन के लिए सीएमआर मशीनें लगाई गई हैं, लेकिन सब्सिडी के बाद भी उनकी कीमत अधिक होने के चलते छोटे किसान के लिए उसे खरीद पाना दूर की कौड़ी बनी हुई है.
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