भारत में मॉनसून कैसा रहेगा, इसे लेकर देश-विदेश की तमाम मौसम एजेंसियो की निगाहें बनी रहती है. उम्मीद है कि बहुत ही जल्द भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) भी प्री-मॉनसून और मॉनसून को लेकर अपना पूर्वानुमान जारी कर सकता है. इस बीच, यूनाइटेड किंगडम के रीडिंग विश्वविद्यालय के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फियर साइंस के शोध वैज्ञानिक अक्षय देवरस ने कहा है कि वैश्विक पूर्वानुमानों से पता चलता है कि इस साल अल नीनो की स्थिति नहीं रहने के कारण भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून, जो जून-सितंबर से तक चलता है, सामान्य रह सकता है.
‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, देवरस ने कहा कि यूके मेट ऑफिस, नेशनल सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल प्रेडिक्शन और यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट के मिश्रित पूर्वानुमान को मानें तो भारत में औसत से ज्यादा मॉनसूनी बारिश हो सकती है. अब तक कई विदेशी मौसम एजेसियां इस साल भारत के मॉनसून को लेकर पॉजिटिव बातें कह रही है. हालांकि, अभी IMD के मॉनसून पूर्वानुमान के जारी होने का इंतजार है. अगर इस साल भी अच्छी बारिश हुई तो यह लगातार दूसरा साल होगा, जब झमाझम बारिश होगी और किसानों को इससे फायदा होगा. इससे पहले 2023 में सामान्य से कम बारिश हुई थी.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में होने वाली कुल बारिश का 70 से 75 प्रतिशत हिस्सा जून से सितंबर के दौरान रिकॉर्ड किया जाता है. इस बारिश से ही अच्छी फसल और जलाशयों के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है. हालांकि, देवरस ने कहा कि वैसे तो भारत में सामान्य मॉनसून सीजन देखने को मिल सकता है, लेकिन यह कह पाना अभी मुश्किल है कि केरल तट पर मॉनसून कब टकराएगा. यह समय से होगा या देरी से आएगा, कुछ तय नहीं है.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के हाल ही के एक बयान के अनुसार, इस साल मॉनसून सीजन के दौरान अल नीनो की स्थिति नहीं बनेगी. बता दें कि भारत में मॉनसून सीजन के दौरान होने वाली लगभग आधी खेती अच्छी बारिश पर ही निर्भर होती है. सीजन में मुख्य रूप से धान, दलहन और तिलहन की खेती को बारिश की काफी जरूरत होती है.
वहीं, जिस साल मॉनसून सीजन में बारिश अच्छी होती है, उसके कारण रबी सीजन में बुवाई के दौरान किसानों को फायदा होता है और शुरुआत में सिंचाई की भी बहुत जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि मिट्टी में नमी बनी रहती है.
सालों से चले आ रहे ट्रेंड को देखें तो भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून मई के अंत या 1 जून तक केरल से प्रवेश करता है और जुलाई की शुरुआत में देशभर में पहुंच जाता है. इसके बाद मॉनसून के लौटने के शुरुआत मध्य सितंबर से होती है और यह उत्तर-पश्चिम जाते हुए 15 अक्टूबर तक पूरी तरह लौट जाता है. हालांकि पिछले साल मॉनसून की विदाई बहुत देरी से हुई थी.
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