जलवायु परिवर्तन का इन दिनों बुरा प्रभाव बिहार में देखने को मिल रहा है. साल के अंतिम महीने के अंतिम सप्ताह में जहां न्यूनतम तापमान 8 से 10 डिग्री के बीच होना चाहिए. वहीं इन दिनों 15 से 16 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान होने से रबी सीजन की फसलों पर सीधा असर देखने को मिल रहा है. सूरज की तीखी धूप के बढ़ते प्रभाव को देख भोजपुर कृषि विज्ञान केंद्र के हेड डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी कहते हैं कि ठंड के मौसम में तापमान का रुख ऐसा ही रहा तो पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा. रबी सीजन के साथ उद्यानिकी फसल आम और लीची भी अछूता नहीं रहने वालें हैं. हालांकि अगले साल के शुरुआती सप्ताह में बारिश होने की संभावना से थोड़ी राहत की उम्मीद नज़र आ रही है.
पटना मौसम विज्ञान केंद्र ने अपने साप्ताहिक मौसम रिपोर्ट में आने वाले पांच दिनों तक न्यूनतम और अधिकतम तापमान में कोई विशेष बदलाव नहीं होने की उम्मीद जताई है. वहीं मौसम शुष्क बना रहेगा. इसके साथ ही अगले एक से दो दिनों के बीच राज्य के कई भागों में हल्के से मध्यम स्तर का घना कोहरा छाए रहने का पूर्वानुमान है. नए साल के पहले दिन तक सूर्य देव अपने पुराने ही रूप में नजर आते रहेंगे.
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कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी कहते हैं कि दिसंबर में जिस तरह का तापमान है, वैसे ही स्थिति आगे बनी रहती है तो रबी फसलों के उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा. अगर गेहूं की बात करें तो अधिकतम तापमान होने से गेहूं के पौधे तेजी से बढ़ेंगे, लेकिन उत्पादन कम होगा. तापमान बढ़ने से रबी फसलों के उत्पादन पर असर पड़ता है. आगे वह बताते हैं कि अभी राज्य के कई जिलों में गेहूं की खेती नहीं हुई है. उन किसानों से यही कहना है कि वे गेहूं के बीज को फूला दें. चौबीस घंटे के बाद अंकुरित होने के बाद उसकी बुआई कर दें. वहीं खेत की सिंचाई करके किसान गेहूं की बुवाई मत करें.
बता दें कि राज्य में करीब 22 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई होती है. इस साल अभी तक करीब 80 प्रतिशत तक बुआई हो चुकी है. वहीं राज्य में गेहूं उत्पादन औसतन करीब 60 से 65 लाख टन होता है.
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डॉ द्विवेदी कहते हैं कि अगर तापमान में गिरावट नहीं आती है तो आम और लीची की खेती प्रभावित होगी. समय से पहले मंजर आना शुरू हो जाएगा. इसकी वजह से सही तरीके का फल नहीं आएगा और उत्पादन कम होगा. वे कहते हैं कि किसान आम के पेड़ों की सिंचाई अभी मत करें. हालांकि इस दौरान दवा से आम के पेड़ों का उपचार करें. दवा में एक लीटर पानी में एनपीके, दो ग्राम बोरान और जिंक और तीन ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड को घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं. यह आम की फसल पर बढ़ते तापमान के दुष्प्रभाव को कम करने के अलावा कई तरह से फायदा करेगा.
वहीं यह प्रक्रिया पंद्रह से बीस दिन के अंतराल पर कर सकते हैं जिससे मंजर कम झड़ेगा. वहीं अधिक तापमान होने से लीची के फलों की संख्या कम हो जाती है. साथ ही फलों में गूदा भी कम पड़ता है. अगर आने वाले एक सप्ताह के दौरान तापमान में गिरावट नहीं होती है तो लीची, आम सहित गेहूं के उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा.
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