उत्तर प्रदेश के वाराणसी में तेज बारिश के बाद बूंदाबांदी से मौसम सुहाना हो गया है. इससे लोगों को उमसभरी गर्मी से राहत मिली है. वहीं, बारिश से जिले के किसानों के चेहरे खिल गए हैं. इस बीच खबर है कि जिला प्रशासन ने रविवार को गंगा और उसकी सहायक नदियों में आई बाढ़ से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. केंद्रीय जल आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 24 घंटों में जिले में 34.8 मिमी बारिश दर्ज की गई.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी के शहरी इलाकों में दिन में कुछ अंतराल पर बूंदाबांदी हुई और बादल छाए रहने से मौसम सुहावना रहा. आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकतम तापमान 32.8 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान 25.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक जुलाई को गंगा नदी का जलस्तर 57.66 मीटर दर्ज किया गया था, जो रविवार सुबह तक बढ़कर 58.47 मीटर हो गया.
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हालांकि गंगा का जलस्तर धीमी गति से बढ़ रहा है. लेकिन उत्तर और मध्य भारत में भारी बारिश के कारण गंगा की सहायक नदियों में जलस्तर बढ़ने की संभावित खतरे को देखते हुए प्रशासन ने बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए कवायद शुरू कर दी है. डीएम एस राजलिंगम बाढ़ की चुनौतियों से निपटने की तैयारियों का निरीक्षण करने वरुणा नदी के निचले क्षेत्र में ढेलवरिया पहुंचे. उन्होंने निचले इलाकों के गांवों का ब्योरा भी मांगा. उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ ही वीएमसी के पार्षदों को बाढ़ संभावित क्षेत्रों में आबादी की मैपिंग कराने और उसकी त्रुटिरहित सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि नेपाल में लगातार बारिश के बाद आई बाढ़ ने बिहार और यूपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. बिहार के गोपालगंज, बेतिया, बगहा, सुपौल और शिवहर जैसे जिलों में बाढ़ से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. भारत-नेपाल बॉर्डर पर वाल्मीकिनगर के गंडक बैराज के 36 गेट खोले जा चुके हैं. जिससे निचले इलाकों पर डूबने का खतरा मंडरा रहा है. बगहा में खेतों में काम करने गए 150 किसान बाढ़ में फंस गए. हालांकि, गनीमत रही कि घंटों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद किसानों को सुरक्षित बचा लिया गया.
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