मार्च का महीना किसानों पर भारी पड़ा है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बड़ी मात्रा में किसानों की फसलें खराब हुईं हैं, जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश में एक लाख से अधिक किसानों पर मौसम की मार पड़ी है, जिनकी फसलें बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से खराब हो गई हैं. जिन्हें अब मुआवजा देने की तैयारियां हैं. असल में मौसम की मार से जूझ रहे किसानों को राहत देने के लिए यूपी सरकार ने फसलों को हुए नुकसान का सर्वे कराया है. इसमें 15 से 25 मार्च के बीच हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का सर्वे पूरा होने से पहले ही 30 मार्च को एक बार फिर मौसम का मिजाज बेरुखा होने से किसानों की मुसीबत बढ़ गई है.
यूपी की योगी सरकार ने राज्य के राहत आयोग को किसानों की फसलें खराब मौसम की भेंट चढ़ने का समग्र सर्वेक्षण करने को कहा है. राहत आयोग ने 15 मार्च से अब तक मौसम बिगड़ने से फसलों को हुए नुकसान की अंतरिम सर्वे रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. इसके आधार पर राज्य सरकार आपदा प्रभावित किसानों को 5638.80 लाख रुपये मुआवजे के रूप में देगी.
यूपी के राहत आयुक्त कार्यालय के अनुसार प्रदेश के सभी 75 जिलाें में 15 मार्च के बाद मौसम बिगड़ने से फसलों को हुए नुकसान का सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा गया था. जिलाधिकारियों से मिली रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई राहत आयुक्त की अंतरिम रिपाेर्ट के अनुसार प्रदेश के 10 जिलों में फसलों को ओलावृष्टि और बारिश से काफी नुकसान हुआ है.
इन जिलों में 1.02 लाख किसानों की 34,137 हेक्टेयर जमीन पर कृषि उपज, खराब मौसम से प्रभावित हुई है. गौरतलब है कि किसानों को प्राकृतिक आपदा में फसल नष्ट होने पर सरकार की ओर से उचित मुआवजा दिया जाता है. मुआवजे के तय मानकों के मुताबिक खराब मौसम में किसानों की कम से कम 33 प्रतिशत फसल नष्ट होना जरूरी है.
राहत आयुक्त कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि जिन 10 जिलों में खराब मौसम से किसानों की फसलें नष्ट हुई हैं, उनमें पूर्वांचल के 4, पश्चिमी यूपी के 3 और बुंदेलखंड के भी 3 जिले शामिल हैं. अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार फसलों को हुए सर्वाधिक नुकसान वाले जिलों में पूर्वांचल में वाराणसी, चंदौली और बुंदेलखंड में ललितपुर शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी में 58,393 किसानों को 13,112 हेक्टेयर में कृषि उपज को नुकसान हुआ. इसके अलावा चंदौली जिले में 11,265 किसानों की 2986 हेक्टेयर में और ललितपुर के 7380 किसानों की 6216 हेक्टेयर में फसल नष्ट हो गई.
वहीं, प्रयागराज में 9252 किसानों की 4448 हेक्टेयर में, उन्नाव में 5505 किसानों की 2801 हेक्टेयर में, आगरा के 4738 किसानों की 2804 हेक्टेयर में, बरेली में 3090 किसानों की 559 हेक्टेयर में, हमीरपुर में 396 किसानों की 271 हेक्टेयर में, झांसी में 205 किसानों की 145 हेक्टेयर में और लखीमपुर में 792 हेक्टेयर में फसल नष्ट हो कर खराब मौसम की भेंट चढ़ गई.
राहत आयुक्त कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि 15 मार्च के बाद मौसम खराब होने के कारण फसलों को हुए नुकसान के सर्वे हुआ है. इसमें 31 मार्च और 01 अप्रैल को हुई बारिश एवं ओलावृष्टि से हुए नुकसान शामिल नहीं है. दूसरे दौर में मौसम खराब होने से फसलों को हुए नुकसान का भी आंकलन किया जा रहा है.
अब तक हुए सर्वे में क्षतिपूर्ति के हकदार किसानों को डीबीटी के माध्यम से जल्द मुआवजा दे दिया जाएगा. इस बीच यूपी के सीएम योगी ने मौसम की मार से नष्ट हुई फसलों के सर्वे की समीक्षा की है. उन्होंने संबद्ध विभागों को आदेश दिया है कि खराब मौसम से प्रभावित हुई किसानों की फसलों का आंकलन कर नियमानुसार क्षतिपूर्ति राशि तत्काल उपलब्ध करायी जाए.
समीक्षा बैठक में योगी ने कहा कि मौसम खराब होने से गेहूं की फसल को ज्यादा नुकसान होने की संभावना है. इस वजह से इस साल प्रदेश में भूसे की कमी हो सकती है. उन्होंने पशुपालन विभाग से इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए समय से गोवंश के लिए चारे की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है.
योगी ने राजस्व विभाग को भी निर्देश दिया है कि प्राकृतिक आपदा के कारण किसी भी प्रदेशवासी की दुःखद मृत्यु अथवा मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं में हताहत होने वाले पीड़ित परिवार से तत्काल सम्पर्क कर आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाए. उन्होंने मौसम विभाग से भी मौसम के पूर्वानुमान के बारे में किसानों को समय से जानकारी उपलब्ध कराने को कहा, जिससे फसलों की क्षति को न्यूनतम किया जा सके.
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